धमतरी: गातापार की मजदूर महिलाओं ने केचुओं की खेती से अपनी तकदीर बदल डाली है. 8 महिलाओं का ये कामधेनु महिला कृषक अभिरूचि समूह, अब तक 5 लाख से ज्यादा केचुआ और वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर बेच चुका है. कभी कम आमदनी कमाने वाली समूह की हर महिला अब 4 हजार रुपये हर महीने कमा रही है. महिला समूह केचुओं को 220 रुपये में बेच रही है. धमतरी के अलावा बालोद, सुकमा और बीजापुर से भी इन केचुओं की डिमांड आ रही है.
8 महिलाओं ने मिलकर 2019 में महिला स्व सहायता समूह नाम से एक संगठन तैयार किया था. कुछ महिने पैसे के अभाव में वे चाहकर कोई कारोबार नहीं कर पा रहीं थी. लेकिन गांव में जब से गौठान बना तो इससे जुड़कर 5 महीने पहले उन्होंने वहां खरीदे गए गोबर से समूह के जरिए केचुआ और वर्मी खाद का निर्माण शुरू किया. पहले समूह 107 क्विंटल खाद का उत्पादन कर रहा था. इसे 8 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा था. जब भूपेश सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तब सरकार ने इसकी कीमत तय की. अब 10 रुपये की दर से समूह की महिलाएं खाद बेच रही हैं.
220 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा केचुआ
खाद ब्रिकी के ढाई महीने बाद केचुए का उत्पादन शुरू हुआ. तब महिलाओं को इसमें नए कारोबार की उम्मीद दिखी. गौठान की महिलाओं ने खुद केचुआ बेचने का फैसला लिया. महिला समूह ने 220 रुपये किलो के हिसाब से अब तक 24 क्विंटल केचुआ बेचा है. जिससे महिला समूह को 4 लाख 15 हजार रुपये की आमदनी हुई है. इसके अलावा महिलाओं ने 1 लाख 60 रुपये की वर्मी खाद भी बेची है.
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