धमतरी: एक बुजुर्ग पिता ने जब अपने जवान बेटे को खो दिया तो इससे वो दुखी तो बहुत हुआ, लेकिन उस पिता ने हरे-भरे पेड़ों में अपने बेटे को तलाशा और तब से उन्हीं पेड़ों की रक्षा में अपना जीवन बिता रहा है. पिछले कई सालों से धमतरी (Dhamtari ) जिले के पेंडरवानी गांव में ये 70 साल के बुजुर्ग भैय्याराम पटेल पेड़-पौधों की देखरेख कर हरियाली बिखेर रहे हैं. मैदानों को उन्होंने बगीचों का रूप दे दिया है. आज इन फलदार पेड़ों से ग्रामीणों को फल मिलना भी शुरू हो गया है. भैय्याराम हर रोज करीब 12 घंटे पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के लिए काम करते हैं.
बेटे की मौत के बाद पेड़-पौधों को बनाई अपनी संतान
धमतरी (Dhamtari ) जिले के सीमावर्ती बालोद जिला अंर्तगत ग्राम पेंडरवानी में साल 2006-07 में वन विभाग व पंचायत ने मनरेगा (MANREGA) के तहत गांव के मैदान पर आम, आंवला समेत कई पेड़ रोपे थे. वृक्षारोपण (tree planting) के कुछ दिनों बाद देखरेख नहीं होने की वजह से पौधे सूखने लगे. पेंडरवानी निवासी भैय्याराम पटेल से यह देखा नहीं गया. उसी समय वे पुत्र शोक में थे. ऐसे में मरते पेड़ों को अपना बच्चा माना और उसकी सेवा शुरू कर दी. हर रोज सुबह वे पेड़ -पौधों की देखभाल (plant care) करने निकल जाते हैं और शाम को लौटते हैं. उनके घर वाले हर रोज उनके लिए खाना लेकर बगीचा पहुंचते हैं.
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