धमतरी:किसी ने सही कहा है कि शारीरिक अपंगता असफलता का कारण नहीं हो सकती, लेकिन मानसिक अपंगता जरूर असफलता का कारण हो सकती है. धमतरी के भेंडसर गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दिव्यांग हैं. जन्म से ही उनके हाथ-पैर नहीं हैं. बोलने में थोड़ी तकलीफ होती है. लेकिन हौसले आम इंसान से ज्यादा बुंहैं. पुष्पेंद्र ने कभी खुद को महसूस नहीं होने दिया कि वे बाकी सामान्य लोगों के मुकाबले कमजोर हैं. हाथ-पैर नहीं होने को लेकर वे कभी निराश और मायूस नहीं हुए.
वे सामान्य लोगों की तरह ही खुद नहा लेते हैं, खाना खा लेते हैं, मोबाइल चला लेते हैं और तो और साइकिल भी चला लेते हैं. पुष्पेंद्र का स्कूल दूसरे गांव में होने की वजह से वह साइकिल से घर से लेकर स्कूल तक 10 किलोमीटर की दूरी भी तय करते हैं. पुष्पेंद्र कक्षा 10वीं के छात्र हैं. बचपन से ही आत्मनिर्भर पुष्पेंद्र को देख आसपास के लोग भी हैरान रहते हैं. पुष्पेंद्र जब कॉपी पर पेन से लिखते हैं, तो स्वयं मां सरस्वती उनकी लिखाई में उतर आती है. बिना झिझक और डर के पुष्पेंद्र अपना हर काम कर लेते हैं.
'हमें पुष्पेंद्र पर गर्व है'
पुष्पेंद्र के दादा कहते हैं कि जिनके हाथ और पैर सही सलामत हैं, आज वे भी बिना किसी के मदद के काम नहीं कर पाते. लेकिन पुष्पेंद्र ने कभी किसी की मदद नहीं ली. वे बचपन से पढ़ने में भी होनहार हैं. दादा कहते हैं कि उन्हें कभी नहीं लगा की घर पर उनका एक पोता दिव्यांग हैं, पुष्पेंद्र पर उन्हें गर्व हैं. वे चाहते हैं कि पुष्पेंद्र भविष्य में खूब तरक्की करे, आगे बढ़े और घर का नाम रोशन करे.
गांव में रहने वाले ग्रामीण भी पुष्पेंद्र को जीने की बेहतरीन मिसाल मानते हैं. वे सभी उनसे प्रेरणा लेते हैं. स्थानीय कहते हैं कि कई बार हम थक हार जाते हैं, लेकिन पुष्पेंद्र को कभी कमजोर पड़ते नहीं देखा.