धमतरी : भले ही जिले में दिगर दिनों में नक्सलियों के खौफ का साया मडंराता हो पर मगरलोड इलाके के बीहड़ में नवरात्री के दिनों में माता की भक्ति का मानो सैलाब उमड़ पड़ता है. निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि, दूर-दूर से यहां लोग खींचे चले आते है.
माना जाता है कि, नवरात्र में यहां ज्योत खूद ब खूद जल उठती है. खास बात ये है कि, माता का दरबार साल में एक बार चैत्र नवरात्र पर ही खोला जाता है. धमतरी से करीब 70 किमी दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलो के बीच मौजूद मां निरई के दरबार में चॅहुओर माता का जयकारा गुंजता रहता है. इस बीच उनके रास्ते में न तो फासले की मुश्किल रोक पाती है और न ही नक्सलीयों का खौफ होता है.
बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले बीहड़ पहाड़ में मां निरई माता का मंदिर स्थापना की गई और वहीं पुजारी बैगा की सेवा से प्रसन्न होकर माता अपने भक्त बैगा को ममता का दुलार देती थी. उसे नहलाती और खाना भी खिलाती थी लेकिन बैगा की पत्नी के शक पर माता क्रोधित हो उठी. जिसके बाद माता किसी भी महिला को नहीं देखना चाहती थी. यही वजह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.