धमतरी: विकास की दौड़ में पिछड़ रहे और विलुप्त होने के कगार पर खड़ी कमार जाति के लोगों को अब शिक्षा के जरिये दुनिया से जोड़ने की पहल की जाएगी. धमतरी जिले में इसके लिए खास पाठ्यक्रम और विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती की गई है. ताकि कमार जाति को शिक्षित किया जा सके.
कमार जनजाति के लिए खास पहल दरअसल, धमतरी में कमार जनजाति के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. जो जंगलों में रहकर शिकार करके जीवन यापन करते हैं और व्यवासाय के तौर पर शराब बनाते हैं. कमार जनजाति एक समय पर विलुप्ति की कगार पर थी, लेकिन सरकार की सार्थक कोशिशों ने इन्हें विलुप्त होने से बचा लिया है. बताते हैं, अब इनकी संख्या बढ़ने लगी है.
कमार जनजाति के लिए खास पहल स्कूल पाठ्यक्रम का कमारी बोली में अनुवाद
अब सरकार का अगला कदम इनके शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए है. ताकि सामाजिक उत्थान की दिशा में भी ये समुदाय आगे बढ़ सके. कमार बच्चों को पढ़ाने के लिए हिंदी भाषा में तैयार स्कूल पाठ्यक्रम का कमारी बोली में अनुवाद किया जा रहा है. इसके लिए कमार जाति के लोगों की ही मदद ली जा रही है.
कमार जनजाति के लिए खास पहल उदाहरण के तौर पर कमारी बोली में कुत्ते को केकला कहते हैं, तो शिक्षक इसे कुछ ऐसे पढ़ाएंगे डी फॉर डॉग, डॉग यानी केकला. एम फॉर मंकी, मंकी यानी माकड़. इसी तरह खरगोश को खराहो और माता के लिए कमारी में याई. शब्द का प्रयोग होता है. इसकी लिपि देवनागरी ही रहेगी, लेकिन बोली कमारी रहेगी. अगले सत्र से ये पढ़ाई शुरू की जाएगी. इसके लिए 80 शिक्षक नियुक्त किये गए हैं, जो हिंदी भाषा में लिखे ज्ञान को कमारी बोली में बदल कर बच्चों तक पहुंचाएंगे.
कमार जनजाति के लिए खास पहल