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धमतरी: विधानसभा चुनाव में बागियों ने 'रुला' लिया था, इस बार कांग्रेस ने इन्हें मिला लिया - chhattisgarh news

विधानसभा चुनाव में धमतरी जिला कांग्रेस के लिए कड़वा अनुभव देने वाला रहा है, जिसकी वजह बागी बने. अब सामने लोकसभा चुनाव है तो प्रदेशभर में कांग्रेस ने बागियों को फिर पार्टी की तरफ खींचना शुरू कर दिया है.

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Published : Mar 27, 2019, 9:31 PM IST

धमतरी: लोकसभा चुनाव में टिकट के ऐलान के साथ ही नेताओं की नाराजगी सामने आने लगी है. जिले में इस बार कांग्रेस के बागी नेता अहम भूमिका निभा सकते थे लेकिन पार्टी ने रिस्क नहीं लिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बागी नेताओं से मुलाकात कर ली.विधानसभा चुनाव मेंकुरूद और धमतरी क्षेत्र में बागियों ने अपेक्षा से अधिक वोट हासिल किए थे. ऐसे में अगर बागी लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल नहीं होते, तो कांग्रेस को नुकसान होना तय था. इधर इनके घर वापसी की राह में कांग्रेस की आपसी खींचतान भी कम रोड़ा नहीं बनी.

बागियों ने बिगाड़ दिया था कांग्रेस का खेल
2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तब देशभर में मोदी लहर थी.मोदी लहर के बीच भी महासमुंद लोकसभा से चंदूलाल साहू ने महज 4 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस यहां पर मजबूत स्थिति में है लेकिन बीते विधानसभा के चुनाव पहले कुरूद और फिर धमतरी में कांग्रेस बुरी तरह से बिखर गई थी.पार्टी केयुवा, प्रभावशाली नेताओं ने बगावती तेवर दिखाते हुए चुनाव लड़े.धमतरी से आनंद पवार और कुरूद से नीलम चंद्राकर कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ आवाज बुलंद कर खुद बागी हो गए थे और अपने साथ कांग्रेस और एनएसयूआई की पूरी टीम को भी खींच लिया था. चुनाव परिणाम आए तो कुरूद में नीलम चंद्राकर ने 63 हजार वोट हासिल किए, तो वहीं धमतरी में आनंद पवार ने 30 हजार वोट हासिल किया. लिहाजा दोनों जगह कांग्रेस की हार हुई जबकि पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया.विधानसभा चुनाव धमतरी जिले के लिए पार्टी का अनुभव कड़वा रहा जिसकी वजह बागी बने.अब सामने लोकसभा चुनाव है तो प्रदेशभर में कांग्रेस ने बागियों को फिर पार्टी की तरफ खींचना शुरू कर दिया है.

विधानसभा चुनाव में बागी हो गए थे नेता

मना लिए गए बागी !
कुरूद और धमतरी महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में आते हैं जहां दोनों बागियों ने कुल 93 हजार वोट ने हासिल किए थे.जाहिर है इस चुनाव में भी यह नुकसान कर सकते थे. लिहाजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात कर उन्हें प्रत्याशी धनेंद्र साहू के लिए काम करने का निर्देश दे दिया. इस दौरान उनके साथ सांसद छाया वर्मा भी मौजूद थीं.

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