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धमतरी पहुंचा बस्तर आदिवासी समाज की रैली का असर, विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी से बातचीत भी फेल - bastar tribal society continues effect in dhamtari

बस्तर आदिवासियों की रैली का असर अब धमतरी में भी दिखने लगा है. इस बीच आदिवासियों को समझाइश के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी मौके पर पहुंचे. हालांकि बातचीत का कोई असर नहीं हुआ.

Bastar tribal society rally
बस्तर आदिवासी समाज की रैली

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Published : Mar 24, 2022, 9:41 PM IST

धमतरी: राजा राव पठार से शुरू हुई आदिवासियों की रैली का असर अब धमतरी तक पहुंच चुकी है. इस बीच आदिवासियों को मनाने विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी मौके पर पहुंचे. तकरीबन 1 घंटे तक चली बातचीत भी फेल हो गई. आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में राष्ट्रीय राजमार्ग में प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे हैं. जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग में दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गई है.

मीडिया से बात करते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों से वार्तालाप का सिलसिला जारी है. समाज के कुछ पदाधिकारियों की बात सीएम भूपेश बघेल से कराए जाने की बात कही गई है. जिसमें समाज के कुछ लोग राजी हो गए हैं.

विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी

ये है पूरा मामला:दरअसल, 10 सूत्रीय मांग को लेकर बस्तर के आदिवासी समाज विधानसभा घेराव के लिए निकले हैं. उनकी मांगे हैं...सरकेगुड़ा, एडसमेटा, न्याययिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए.बस्तर में सैनिकरण निरस्त करते हुए पुलिस कैम्प बंद की जाए. फर्जी मुठभेड़, फर्जी मामलों में गिरफ्तारिया बंद की जाए. जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की तुरंत रिहाई हो.

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अनुसूचित क्षेत्रों में संविधान सम्मत पेसा कानून धारा 4(घ) एवं 4 (ण) के तहत हर गांव में 'ग्राम सरकार' एवं हर ज़िले में 'ज़िला सरकार ' गठन की प्रशासकीय व्यवस्था लागू हो. संविधान के 5वीं अनुसूची के पैरा 5(2) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में भू-अधिग्रहण एवं भू-हस्तांतरण को विनियमित करने के लिए "आंध्र प्रदेश अनुसूचित क्षेत्र भू-हस्तांतरण विनियम कानून, (संशोधित)1970 के तर्ज पर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में संशोधन कर कानून बनायी जाए. ग्रामसभा के निर्णय का पालन हो. बिना ग्रामसभा सहमति के किसी भी कानून से किसी भी परियोजना के लिए जारी भूमि अधिग्रहण निरस्त की जाए. जनता के मौलिक अधिकारों का हनन करनेवाला "छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम, 2005" को खारिज़ किया जाए. अनुसूचित इलाकों में ग्राम पंचायतों की अनारक्षित घोषणा करना बंद हो. अनुसूचित क्षेत्र में संविधान का अनुच्छेद 243 (य ग) का पालन करते हुए सारे गैर-कानूनी नगर पंचायतों /नगर पालिका को भंग करते हुए पेसा कानून के तहत पंचायती व्यवस्था लागू की जाए.

हालांकि इस बीच कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि वार्तालाप का सिलसिला जारी है. जल्द ही समाधान निकाल लिया जाएगा.

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