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गर्मी शुरू होते ही यहां प्यास बुझाने को तरस रहे हैं लोग, असुविधाओं से जूझ रहा है गांव

गर्मी के शुरुआती महीने में ही जलसंकट का दौर शुरू हो गया है. आलम ये है कि ग्रामीण प्यास बुझाने के लिए कुएं या फिर निजी पम्पों का सहारा लेने को मजबूर हैं. गांव में सरकारी पंप तो है पर वह बीते कई महीनों से खराब है, जिसे शिकायतों बाद भी सुधारने की जहमत विभागीय अमले ने नहीं की.

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Published : Apr 9, 2019, 2:55 PM IST

असुविधाओं से जूझ रहा है गांव

असुविधाओं से जूझ रहा है गांव

धमतरी: जिले के अंतिम छोर पर बसी मैनपुर मैनपुर पंचायत के बनियाडीह गांव को जिले के पहले ओडीएफ गांव का तमगा मिला हुआ है. लेकिन यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. गर्मी शुरू होते ही यहां जलसंकट शुरू हो गया है. सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा यहां सबका हाल बेहाल है.

गर्मी के दौरान वनांचल के पहाड़ी और अंदरूनी इलाकों में पेयजल की समस्या से हर साल वनवासियों को जूझना पड़ता है. यहां गर्मी के शुरुआती महीने में ही जलसंकट का दौर शुरू हो गया है. आलम ये है कि ग्रामीण प्यास बुझाने के लिए कुएं या फिर निजी पम्पों का सहारा लेने को मजबूर हैं. गांव में सरकारी पंप तो है पर वह बीते कई महीनों से खराब ह. जिसे शिकायतों बाद भी सुधारने की जहमत विभागीय अमले ने नहीं की.

बुजुर्गों को वक्त पर नहीं मिल रही है पेंशन
वैसे बुजुर्गों और जरूरतमंद के जीवन निर्वाह के लिए शासन द्वारा प्रत्येक माह पेंशन की राशि दी जाती है लेकिन इस गांव में वृद्धा पेंशन योजना का बुरा हाल है. आलम ये कि बुजुर्गों को इन दिनों पेंशन के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. वहीं तकनीकी दिक्कतों के चलते पेंशन मिलने में भी देरी हो रही है. उन्हें पेंशन की मामूली रकम के लिए कई किलोमीटर दूरी तय कर बैंक जाना पड़ रहा है. पेंशन की राशि देने में लेट लतीफी की जा रही है जिससे बुजुर्गों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.

'यहां न अधिकारी आते हैं और न ही जनप्रतिनिधि'
ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में न ही अधिकारी आते हैं और न ही कोई नेता. नेता या जनप्रतिनिधि आते भी हैं तो सिर्फ वोट मांगने के लिए आते हैं. बाकी समय कोई पूछ परख नहीं होती. गांव आने जाने के लिए एक मात्र रास्ता है जिसमें महीनों पहले मुरुम बिछाया जा रहा था पर वह भी काम बंद पड़ा है. वहीं बाजार हाट में जाने लंबी दूरी तय करना पड़ता है. इसके आलावा पेयजल की समस्या होने से लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

इधर प्रशासनिक अधिकारी पेयजल की समस्याओं को देखते हुए जल्द ही कार्ययोजना बनाकर काम करने की दलील दे रहे हैं. वहीं जहां समस्या गंभीर है उन्हें चिन्हाकित किए जाने की दावे कर रही है.

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