धमतरी: आमतौर पर देखा जाता हा कि पेरेंट्स अपने बच्चों को मोटी फीस देकर निजी स्कूलों में दाखिला कराते है ताकि उनके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके, लेकिन जिले में इन दिनों कुछ अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां पेरेंट्स अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूल में भर्ती करा रहे हैं. इसके पीछे कारण है स्कूलों में बेहतर शिक्षा के साथ विभिन्न गतिविधियों का संचालन होना.
सरकारी स्कूल में दाखिले की होड़ नए शिक्षण सत्र के लिए जिले के शासकीय प्राथमिक शाला मुजगहन में प्रवेश की तैयारियां चल रही है. विद्यालय के शिक्षक गांव सहित आस-पास क्षेत्रों में जनसंपर्क कर छात्रों को स्कूल लाने के लिए पालकों से लगातार मुलाकात कर रहे हैं और अपने स्कूल गतिविधियों को पालकों के सामने रख रहे हैं. स्कूल में पढ़ाई के स्तर और गतिविधियों से खुश होकर अन्य बच्चों के पालक अब खुद आगे आकर अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं.
सरकारी स्कूल में करीब 21 नए एडमिशन
बताया जा रहा है प्राथमिक शाला मुजगहन में पिछले साल कक्षा पहली से पांचवीं तक छात्रों की संख्या 138 थी, जिसमें से 26 विद्यार्थी प्राइवेट स्कूल से आए थे और इस बार भी तकरीबन 21 बच्चों का एडमिशन इस सरकारी स्कूल में हुआ है. जाहिर है कि पालक इस स्कूल के गतिविधियों से बेहद खुश है और शायद यही वजह है कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भर्ती करा रहे है.
बच्चों का हो रहा मानसिक और शैक्षणिक ग्रोथ
पालकों का कहना है कि वे उनके बच्चे पहले निजी स्कूल में पढ़ते थे लेकिन इतनी मोटी रकम देने के बाद भी पढ़ाई का स्तर सामान्य रहा. जबकि सरकारी स्कूल में इससे अच्छी पढ़ाई हो रही है इसके अलावा बच्चों में मानसिक और शैक्षणिक ग्रोथ भी बढ़ रहा है साथ ही पैसों की बचत भी हो रही है. स्कूल शिक्षकों का कहना है कि पिछले 4 सालों से स्कूल में विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. उनका कहना है कि वे लगातार गांव में सर्वे करते हैं और पालकों को स्कूल में हो रहे तमाम गतिविधियों की जानकारी देते है. लिहाजा लोग अब स्वेच्छा से अपने बच्चों को स्कूल में भर्ती करा रहे हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि बच्चों को शिक्षा गुणवत्ता देना शासन की मंशा है और शिक्षा विभाग इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है. जिस तरह से बच्चे सरकारी स्कूल में दाखिला ले रहे है वह टीचर की मेहनत और शासन से मिलने वाली सुविधाओं का नतीजा है. सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाएं निःशुल्क मिलती है जिससे पालकों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता, जिसे अब पालक समझ रहे हैं.