धमतरी : पंडवानी का जिक्र होते ही तीजन बाई का नाम सबसे पहले जहन में आता है. इनसे प्रेरित होकर 11 साल की उम्र से ही इस लोक कला को आगे बढ़ाते हुए खेमीन यादव ने पंडवानी गायन शुरू किया था. धमतरी जिले की खेमीन इस लोक कला को प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों तक पहुंचाने का काम कर रही है.
धमतरी के सिहावा की रहने वाली खेमीन यादव 11 साल की उम्र से ही पंडवानी गायन कर रही हैं. उनका पूरा परिवार पंडवानी गायन में उनका साथ दे रहा है. खेमीन बताती है कि वह तीजन बाई को पंडवानी गाते देखती थी तो उनका भी मन हुआ कि वह भी पंडवानी गायन करें. उनके पिता और शिक्षकों ने उनका हौसला बढ़ाया और खेमीन का पंडवानी गायन का सफर शुरू हुआ. इस बाद खेमीन ने लगातार अनेक मंच पर पंडवानी की प्रस्तुति दी. ओडिशा और महाराष्ट्र में भी खेमीन लोक कला की प्रस्तुति दे चुकी हैं.
लोक कला को बचाए रखना है चुनौती
खेमीन बताती है कि आज के समय में जहां फिल्मी गीतों का लोगों पर खास प्रभाव है ऐसे में लोक कला बचाए रखना एक चुनौती की तरह है. ऐसे में पंडवानी के प्रसंगो को रोचक रुप से प्रस्तुत कर वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को बांधने का प्रयास करती है. उनका कहना है कि आधुनिक समय में भी पंडवानी को बचाए रखने में वह हर संभव प्रयास कर रही है और आगे भी करते रहेंगी.