धमतरी: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद वनाचंल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वनांचल में आज तक न तो ठीक से सड़कें बनी हैं न यहां के लोगों को बिजली पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाई हैं.
नाम के रह गए हैं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र इन इलाकों में स्थिति इतनी भयावह है कि बारिश के दिनों में यहां भगवान ही इनके रक्षक हैं. वनांचल में रहने वाले कई बार कच्ची सड़कों पर कीचड़ में लथपथ होकर जिला मुख्यालय एक सड़क की मांग लिए पहुंचे हैं, लेकिन इन्हें सड़क की जगह सिर्फ आश्वासन ही मिला है.
आवाजाही बरसात में रहती है ठप्प
धमतरी जिले से करीब 100 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बिरनासिल्ली गांव में आज तक कोई राजनेता नहीं पहुंचा है. ग्रामीण बताते हैं कभी-कभी कोई अधिकारी आ जाये तो उनके लिए बड़ी बात होती है. बरसात में यहां गांव टापू बन जाते हैं.
शिक्षा के मंदिर में शिक्षक नहीं
ग्रामीण गांव में लंबे समय से पुल-पुलिया की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी ही है. गांव में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है, शिक्षकों की कमी यहां लंबे अरसे से बनी हुई है. जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती. वहीं आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को लंबी दूरी तय कर दूसरे गांव जाना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव में पानी की भी भारी किल्लत है. गांव में जितने भी तालाब थे सब सूख चुके हैं.
नाम के रह गए दत्तक पुत्र
गांव में ज्यादातर कमार परिवार के लोग रहते हैं. जिसे भारत के राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. सरकार ने कमारों के लिए कई योजनाएं चला रखी है, लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमटी है. सुविधा के नाम पर गांव के परिवारों को न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही शौचालय. ग्रामीणों का कहना है कि वे सिर्फ नाम के ही राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र रह गए हैं.