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इस गांव के हर घर में कुआं, कभी नहीं हुआ पानी का संकट

धमतरी से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत भटगांव पानी के मामले में अन्य गांवों से समृद्ध है. पानी को लेकर यहां लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती. आज तक यहां कभी पानी की किल्लत नही हुई. गांव में लगभग सभी घरों में एक से पांच कुएं हैं. लोगों ने मनमाफिक गोल, चौकोर आकृति के कुएं बना रखे हैं. गांव में 850 से ज्यादा कुएं (Well) हैं. भीषण गर्मी में भी यहां एक भी कुआं नहीं सूखता.

धमतरी भटगांव 850 से ज्यादा कुएं Well
धमतरी भटगांव 850 से ज्यादा कुएं Well

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Published : Apr 4, 2021, 3:37 PM IST

धमतरी: गर्मी के मौसम में एक तरफ जब शहर समेत अनेक गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा रहता है, तो दूसरी ओर धमतरी जिले के ग्राम पंचायत भटगांव जैसे गांव भी हैं. जहां मात्र 8 से 10 फीट की गहराई में पानी मिल जाता है. साढ़े चार हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग सभी घरों में एक से पांच कुएं हैं. लोगों ने मनमाफिक गोल, चौकोर आकृति के कुएं बना रखे हैं. गांव में 850 से ज्यादा कुएं (Well) हैं. भीषण गर्मी में भी यहां एक भी कुआं नहीं सूखता. जल की उपलब्धता दूसरे गांवों के मुकाबले काफी समृद्ध है. यही वजह है कि कुएं गांव की पहचान भी बन चुके हैं.

इस गांव में हैं 800 से ज्यादा कुएं

पानी का कोई संकट नहीं

जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत भटगांव पानी के मामले में अन्य गांवों से समृद्ध है. पानी को लेकर यहां लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती. आज तक यहां कभी पानी की किल्लत नही हुई. गांव में लगभग सभी घरों में एक से पांच कुएं हैं. लोगों ने मनमाफिक गोल, चौकोर आकृति के कुएं बना रखे हैं. गांव में 850 से ज्यादा कुएं हैं. भीषण गर्मी में भी यहां एक भी कुआं नहीं सूखता. गांव में पेयजल के लिए नलजल योजना भी संचालित की जाती है. वहीं पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 38 नलकूप भी हैं, लेकिन ज्यादातर लोग कुएं के पानी से निस्तारी करते हैं.

गांव में 850 से ज्यादा कुएं

इस गांव को जिले में सबसे ज्यादा कुएं होने गौरव भी मिला है. इस गांव में करीब 850 से अधिक कुएं है. यानी हर घर में एक या दो कुएं हैं. इसी कुएं के पानी से गांव के लोग निस्तारी के अलावा बाड़ियों और खेतों में सिंचाई करते हैं. वही कुएं का ताजा पानी अधिकांश घरों में उपयोग होता है. इससे महिलाओं को पानी भरने की समस्याओं का सामना करना नहीं पड़ता है. वहीं समय की बचत भी होती है. यही नहीं जब कभी भी गांव में किसी का कोई नया घर बनाता है तो सबसे पहले कुएं का निर्माण कराया जाता है या फिर उसके लिए जगह छोड़ देते हैं ताकि बाद में कुआं बनाया जा सके.

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जल संरक्षण की दिशा में अनूठा कदम

कहा जाता है कि गांव के लोगों आकाल के समय पानी के संकट से जूझना पड़ा था. तब से भटगांव के लोगों ने जल सरक्षंण की दिशा में सोचना शुरू किया. नतीजतन इस गांव के हर घर में कुआं है. लिहाजा अब यहां कभी पानी का संकट नही है.

भू-जलस्तर गांव में है अच्छा

ग्रामीण बताते हैं कि अन्य दिनों में यहां के कुओं में सामान्य स्तर पर पानी होता है, लेकिन गंगरेल बांध से महानदी फीडर केनाल में पानी छूटने पर यहां का भू-जलस्तर बढ़ता है, इसलिए यहां कभी भी पानी की समस्या नहीं होती है. पीएचई विभाग के मुताबिक भटगांव क्षेत्र नहर से लगा हुआ है. यहां जमीन में पहले मुरम है और निचले हिस्से में क्षेत्र में पत्थरीली जमीन भी है. इसके कारण यहां बोर सफल नहीं होते है. वहीं कुआं की वजह से बारिश का जल एकत्रित होता है. ज्यादा कुआं होने से जलस्तर बेहतर रहता है.

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पानी की उपलब्धता भरपूर

भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना में धरातल के आंतरिक भाग में दो प्रकार की चट्टाने होती हैं. इनमे एक मुलायम और दूसरी कठोर चट्टान. अगर दोनों प्रकार की चट्टान हो तो वह पानी को संचित करने में मददगार साबित होता है. शायद यही कारण है कि भटगांव में पानी की उपलब्धता भरपूर है या फिर गंगरेल जलाशय के भीतर से होकर कोई दरार और सुरंग हो सकती है, जिससे पानी का रिसाव होता होगा.

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