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राम वन गमन पर्यटन परिपथ के लिए जिला प्रशासन ने मांगे 14 करोड़ 77 लाख रुपये - सीता अभयारण्य

धमतरी में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के लिए धमतरी जिला प्रशासन ने जिले के 16 जगहों को चुना है. जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इन 16 जगहों के विकास के लिए कार्ययोजना बनाकर करीब 14 करोड़ 77 लाख 20 हजार रुपये की मांग की है.

Plan for Ram Van Gaman tourism circuit
राम वन गमन पर्यटन परिपथ के लिए बनी योजना

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Published : Jun 6, 2020, 9:36 PM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'राम वन गमन पर्यटन परिपथ' के लिए धमतरी जिला प्रशासन ने जिले के 16 जगहों का चयन किया है. जहां पर धार्मिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए सुविधाओं का विकास किया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इन 16 जगहों के विकास के लिए कार्ययोजना बनाकर 14 करोड़ 77 लाख 20 हजार रुपये की मांग की है.

बताते हैं, भगवान राम का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता है. यहां उनका ननिहाल के अलावा वे वन गमन के दौरान काफी समय छत्तीसगढ़ में बिताये थे. भगवान राम जहां से गुजरे थे और जहां रूके थे, वहां राम वन गमन पथ को विकसित करने की योजना छत्तीसगढ़ सरकार ने बनाई है.

बता दें, धमतरी जिले के सिहावा की पहाड़ियों में मुचकुंद आश्रम, अगस्त्य आश्रम, अंगिरा आश्रम, श्रृंगि ऋषि, कंकर ऋषि आश्रम, शरभंग ऋषि आश्रम सहित गौतम ऋषि का आश्रम है. कहा जाता है कि भगवान राम ने दण्डकारण्य के आश्रम में ऋषियों से मुलाकात कर कुछ समय यहां बिताये थे.

श्रीराम के वनवास काल में धमतरी जिले में जहां पद पड़े थे उनके नाम

रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर
रुद्री में स्थित रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर प्रदेश के प्रमुख शिवालयों में शामिल है. यह मंदिर जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर महानदी के तट पर स्थित है. इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. पौराणिक मान्यता है कि श्रीराम वनगमन पथ में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण यहीं विश्राम किए थे और शिवलिंग की स्थापना माता सीता ने की थी, जिसे अब रूद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.

विश्रामपुर में रुके थे श्रीराम-लक्ष्मण
कहा जाता है कि रामचंद्र जी वनवास काल में विश्राम के लिए इस जगह पर रुके थे. इसी कारण गांव का नाम विश्रामपुरी पड़ा है आज भी यहां असंख्य पत्थर चांदी की चमक के तरह यहां बिखरे पड़े हैं.

श्रृंगि आश्रम
मान्यता है कि वनवास के दौरान यहां राम, लक्ष्मण और सीता आए थे. मौजूदा स्थिति में भी श्रृंगि पर्वत देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. इसी पर्वत से महानदी का उद्गम है. पर्वत के नीचे महानदी के किनारे एक चट्टान पर शिवलिंग का आकार उकेरा गया है. स्थानीय मान्यता है कि यह खुद श्रीराम ने पूजन के लिए बनाया था. उन्होंने माता सीता के साथ पूजन किया था.

शांता मंदिर
श्रृंगी आश्रम के पास ही यह आश्रम एक पहाड़ की चोटी पर है. साथ वाले पहाड़ पर मां शांता की तपस्थली है. श्रृंगि ऋषि आश्रम से शांता मंदिर तक पहाड़ के ऊपर-ऊपर ही मार्ग है. मां शांता का अब शीतला माता के रूप में पूजन किया जाता है.

शरभंग ऋषि आश्रम
रामायण कालीन सप्त ऋषियों में शरभंग ऋषि प्रमुख ऋषि माने जाते थे. प्रभु श्रीराम इनसे मिलने सिहावा क्षेत्र में आये थे, ऐसी जनश्रुति मिलती है. शरभंग ऋषि के नाम से शरभंग पर्वत है, जहां पर शरभंग ऋषि का आश्रम है. कहते हैं वनवास के दौरान यहां राम, लक्ष्मण और सीता आए थे.

मुचकुंद आश्रम
मुचकुंद आश्रम नगरी से 27 किलोमीटर पूर्व दिशा में मेखलाकार पहाड़ी पर मेचका गांव के पास मुचकुंद ऋषि का आश्रम है. आश्रम के पास सुंदर तालाब और सीता माता के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं.

अगस्त्य आश्रम
रामायण काल में अगस्त्य ऋषि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. छत्तीसगढ़ के सिहावा क्षेत्र में अगस्त्य ऋषि का आश्रम मिलता है और इन्हीं के नाम पर अगस्त्य पर्वत भी है. अगस्त्य को आर्य संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए अधिकृत किया गया था. वे उत्तर से दक्षिण में इसी कार्य के लिए यहां आए थे और यहीं से वे दक्षिण में प्रवेश किये थे. उनके जाने वाले मार्ग को दक्षिणापथ कहते हैं.

वाल्मीकि आश्रम सीता अभयारण्य
सिहावा के दक्षिण दिशा में सीता नदी को चित्रोत्पला नदी कहते हैं. यह वाल्मीकि ऋषि का प्राचीन आश्रम है. कहते हैं, वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे.

शिवलिंग जिसकी स्थापना माता सीता ने की थी
धमतरी के नगरी में कर्णेश्वर धाम स्थित शिव और रामजानकी मंदिर में प्रदेश भर के श्रद्धालु दर्शन और जल चढ़ाने के लिए आते हैं. कहते हैं, यह शिवलिंग जिसकी स्थापना माता सीता ने की थी. यहां बाद में सोमवंशी राजाओं नें 12वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण कराया था.

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