छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Sihawa Karneshwar Dham: सिहावा कर्णेश्वर धाम का ऐतिहासिक महत्व, माघ पूर्णिमा पर लगता है विशाल मेला

Magh Purnima 2023 धमतरी के सिहावा इलाका प्राचीन काल से ही ऋषि बाहुल्य क्षेत्र और उनकी तपोभूमि रहा है. माना जाता है कि आदि काल में श्रृंगी ऋषि, ब्रम्हर्षि लोमस, अगस्त्य, कर्क, सरभंग, मुचकुंद, अंगिरा ऋषि का यह तपोस्थली रही है. ऋषियों की साधना केंद्र होने के कारण क्षेत्र में देवताओं के आने के भी मान्यता है. इन्ही मान्यताओं में देउरपारा स्थित कर्णेश्वर धाम की भी मान्यता शामिल है. यहां सोमवंशी राजाओं ने भगवान शिव और राम जानकी की मंदिर तैयार करवाया था. जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है. हर साल माघी पूर्णिमा पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. दूर दराज से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डूबकी लगाने करने पहुंचते है.

fair organized on Maghi Purnima in Sihawa
सिहावा में माघी पूर्णिमा पर विशाल मेले का आयोजन

By

Published : Feb 4, 2023, 9:36 AM IST

Updated : Feb 4, 2023, 10:24 AM IST

धमतरी:महर्षि श्रृंगी आश्रम के पास कर्णेश्वर धाम स्थित है. मंदिर में सोमवंशी राजाओं का शिलालेख आज भी मौजूद है. शिलालेख संस्कृत भाषा के देवनागरी लिपि में है. सोलह पंक्तियों की आयताकार भीतर शिलालेख है. जिसे कांकेर के सोमवंशी राजा कर्णराज के शासनकाल में शक संवत 1114 में उत्कीर्ण कराया था. शिलालेख से पता चलता है कि महराज कर्णराज ने अपने वंश की कीर्ति को अमर बनाने के लिए कर्णेश्वर देवहद में छह मंदिरों का निर्माण करवाया था. पहला अपने निसंतान भाई कृष्णराज के नाम, दूसरा मंदिर प्रिय पद्यी भोपालादेवी के नाम निर्मित कराया था.

यह भी पढ़ें:Magh Purnima 2023 माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व और शुभ मुहूर्त, रवि पुष्य समेत 4 शुभ योग

मंदिर का खासियत:भगवान शिव की आराधना कर उसकी प्रतिष्ठा की. कर्णराज द्वारा निर्मित मंदिरों में शिव के अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम राम और जानकी का मंदिर प्रमुख है. भगवान शिव को बीस वर्ग फुट आयताकार गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया है. गर्भगृह का शीर्ष भाग कलश युक्त है. मंदिर का अग्रभाग मंडप शैली में बना है, जिसकी छत आठ कोणीय प्रस्तर स्तंभों पर टिकी है. मंदिर का पूरा भाग पत्थर से निर्मित है.

जानिए क्या है कहानी:कहते है कि कांकेर के सोमवंशी राजाओं के पूर्वज जगन्नाथपुरी ओडिशा के मूल निवासी थे. सोमवंशी राजाओं ने पहले पहल नगरी में अपनी राजधानी बनाई. कर्णेश्वर धाम मे एक प्राचीन अमृतकुंड भी है. किवदंती है कि इस कुंड के जल के स्नान से कुष्ठ जैसे असाध्य रोग ठीक हो जाता था.सोमवंशी राजाओं ने इसे मिट्टी से भर दिया. अमृतकुंड से लगा हुआ छोटा सरोवर राजा के दो पुत्रियां सोनई-रूपई नाम से जाना जाता है. माघ पूर्णिमा के अवसर पर श्रध्दालु स्नानादि के बाद पूजा अर्चना पश्चात, अमृतकुंड का दर्शन कर उनका जल अपने साथ ले जाते है.

सिहावा में विशाल मेले का आयोजन: सिहावा स्थित कर्णेश्वर धाम में माघी पूर्णिमा के अवसर पर शाही स्नान के साथ मेला शुरू होता है जो 4 दिनों तक चलता है. माघपूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालु बालका और महानदी के संगम में आस्था की डुबकी लगाते है. माघी पूर्णिमा मेला के अवसर यह विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस क्षेत्र के सबसे बड़े मेले में दूर दराज से संत और श्रद्धालु पहुंचते है. मनोरंजन के लिए झूले और तरह-तरह के स्टाल सजाए जाते है. कर्णेश्वर धाम को मेले के लिए आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है. इस मेले में नगरी सिहावा क्षेत्र के 50 से अधिक गावों के लोग शामिल होते हैं.

Last Updated : Feb 4, 2023, 10:24 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details