धमतरी: वैसे तो नवरात्र के इस पावन पर्व मे चारों ओर आस्था का सैलाब उमड़ा है और लोग माता की भक्ति के रंग मे डूबे हुए हैं. लेकिन धमतरी की धरती हमेशा से ही मां दन्तेश्वरी की ममता के छांव में है. नवरुपों में पूजे जाने वाली मां का यह रूप उत्तर दिशा में दरबार लगाकर सदियों से इलाके की रक्षा करते आ रही है. शक्ति और भक्ति के इस सगंम में कई चमत्कार भी होते रहते है. इस सिद्धपीठ से कोई श्रृद्धालु निराश नहीं लौटता...यही वजह है कि हर नवरात्र में आस्था की ज्योत जलाने इलाके के अलावा दूरदराज के लोगों का तांता लग जाता है.
मां दन्तेश्वरी मंदिर: चकमक पत्थर से जलाई जाती है यहां की ज्योत - Maa Danteshwari Temple of Dhamtari
धमतरी के रिसाई पारा में विराजित मां दन्तेश्वरी का यह भव्य दरबार बीते 6 सौ वर्षों से इतिहास का साक्षी है. जब माता दुर्गा का यह रुप इस बीहड़ मे स्वंय प्रकट हुआ. इसके प्रभाव से पूरे इलाके को आलौकित कर दिया
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धमतरी के रिसाई पारा में विराजित मां दन्तेश्वरी का यह भव्य दरबार बीते 6 सौ वर्षों से इतिहास का साक्षी है. जब माता दुर्गा का यह रुप इस बीहड़ मे स्वंय प्रकट हुआ. इसके प्रभाव से पूरे इलाके को आलौकित कर दिया.तब से इस दरबार में आस्था की ज्योत जलने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है. मान्यता के मुताबिक सबकी मनोकामना पूरी करने यह मातेश्वरी पार्वती माता के कटे अगं का अशं है. जिसे हिमालयराज के हवन कुन्ड में देह त्यागने के बाद भगवान शंकर अपने साथ ले जा रहे थे और भगवान विष्णु ने चक्र सुदर्शन से टुकड़े टुकड़े कर दिया था. इसमें शरीर का दान्तो वाला हिस्सा इस धरती पर गिरा और पाषाण रुप धारण कर लिया. इसके बाद जब भक्तों ने आराधना की तो माता स्वयं उनकी मनोकामना पूरी करने धमतरी से बाहर आकर प्रकट हुई.
तब से लेकर आज तक इस दरबार मे लोगों ने माता के शक्ति का कई बार अहसास किया है. जिसके चलते अपनी जिन्दगी में उजियारा लाने वे यहां ज्योत जलाते हैं. जिसकी अग्नि सदियों बीतने के बाद भी चकमक पत्थर से जलाई जाती है. वैसे तो इस दरबार मे सालभर घन्टियों की आवाज गूंजने का सिलसिला नहीं रुकता. लेकिन नवरात्र के खास मौके पर पूरा इलाके में माता के भक्तों का मेला लग जाता है.
मां दन्तेश्वरी अपने भक्तों की खाली झोली भर देती है जो सुख और सूकून की तलाश में यहां हाजिरी लगाते हैं. दिगर चमत्कारों के बारे मे कुछ श्रद्धालु की माने तो आज भी किसी किसी को माता के पायल की रुनझुन सुनाई पड़ती है. मां के इसी प्रभाव के चलते कभी भी इस इलाके में महामारी नहीं फैली. बहरहाल, मां विंध्यवासिनी की बहन माने जाने वाली इस दन्तेश्वरी मां की कृपा सदियों से अपने भक्तों पर बरसते आ रही है. पहले तो माता के चमत्कार अक्सर दिखाई पड़ते थे लेकिन आज भी श्रद्धालु अनार के दांतों जैसे वाली दुर्गा के इस रुप की शक्ति को अहसास करते हैं.