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Dhamtari latest news: धमतरी में भक्तों ने निकाली खाटू श्याम की शोभायात्रा

धमतरी में नवनिर्मित खाटू श्याम मंदिर के लिए विशाल मूर्ति लाई गई है. मूर्ति को मंदिर तक पहुंचाने के लिए शोभायात्रा निकाली गई. जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्त शामिल हुए. भक्तों ने बताया कि "ये छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा खाटू श्याम मंदिर है, जो लगभग 7 करोड़ की लागत से बनाया गया है. शोभायात्रा में नाचने गाने के लिए बाहर से कलाकार बुलवाए गए थे.

Khatu Shyam procession in dhamtari
खाटू श्याम की शोभायात्रा

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Published : Jan 18, 2023, 5:51 PM IST

धमतरी में खाटू श्याम की शोभायात्रा

धमतरी:धमतरी में बुधवार को खाटू श्याम भक्तों द्वारा शहर में ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई. मठ मंदिर से होते हुए शोभायात्रा रायपुर रोड स्थित नवनिर्मित खाटू श्याम मंदिर पहुंची. जिसमें हजारों की संख्या में शहर एवं आस पास के जिलों से भक्त शामिल हुए. जगह जगह शोभायात्रा का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया. इस दौरान श्याम भक्तों ने कहा कि "श्याम बाबा के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है"

18 से 26 जनवरी तक रोज होगा धार्मिक कार्यक्रम: धमतरी के रायपुर रोड में खाटू श्याम का भव्य मंदिर निर्माण पूरा हो चुका है. जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 26 जनवरी बसंत पंचमी को होनी है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्याम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 18 जनवरी से भागवत कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है. 18 से 26 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा तक प्रत्येक दिन विभिन्न सांस्कृतिक भजन और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. जहां देश के अलग अलग क्षेत्र से प्रख्यात गायक आकर अपनी प्रस्तुति देंगे.

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जानिए कौन थे खाटू श्याम जी बाबा:जानकारी के अनुसार, फागुन शुक्ल एकादशी पर महाभारत के समय भीम पुत्र घटोत्कक्ष के बेटे बरबरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने सिर का दान दिया था. महाभारत युद्ध शुरू होने पर बरबरीक भी इसमें शामिल होने जा रहे थे. उन्होंने मां को हारने वाले पक्ष का साथ देने का वचन दिया. इसकी जानकारी भगवान श्रीकृष्ण को लगी. हारना कौरवों का तय था, ऐसे में तपस्वी बरबरीक यदि कौरवों के पक्ष में होते तो मुश्किल हो जाती.

ब्राह्मण भेष में श्रीकृष्ण ने ली थी बरबरीक की परीक्षा: इस कारण श्रीकृष्ण ब्राह्मण भेष में आये, परीक्षा ली. इस परीक्षा में बरबरिक ने एक ही बाण से पीपल के पेड़ में लगे सारे पत्तों में छेद कर दिए. ब्राह्मण वेश में श्रीकृष्ण ने बरबरीक का सिर दान में मांग लिया और बरबरीक ने अपना सिर दान कर दिया. इस दान से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने बरबरीक को कलयुग में खाटू श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया.

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