धमतरी: जिला पंचायत द्वारा की गई 133 पदों पर वर्ग-1 शिक्षाकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में हुए भ्रष्टाचार मामले की एक बार फिर जांच शुरू हो गई है. मामले में जिला पंचायत के कई तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने मामले की प्राथमिक रिपोर्ट शासन स्तर तक पहुंचा दी है.
शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा. दरअसल, साल 2006-07 में जिला पंचायत ने वर्ग-1 शिक्षाकर्मी की 133 पदों के लिए मेरिट के आधार पर भर्तियां की थीं. इसमें चयनित ज्यादातर आवदकों के खिलाफ फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने का आरोप लगा था. इस मामले की लोकायुक्त स्तर पर जांच भी की गई थी, लेकिन बाद में ये मामला दब गया. अब एक बार फिर इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति इस मामले की जांच कर रही है.
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
धमतरी जनपद द्वारा साल 2006-07 में ही शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की 89 पदों पर भर्तियां की गई थीं. इस भर्ती प्रक्रिया में पहली बार भ्रष्टाचार का उजागर हुआ था. मामले में एफआईआर के बाद आधा दर्जन शिक्षाकर्मियों को जेल जाना पड़ा था, लेकिन मामला अभी अदालत में लंबित है. इस भर्ती प्रक्रिया में जिला पंचायत सीईओ, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और बीईओ ने आवेदकों से मार्कशीट की सत्यता जांचने उनसे एक शपथ पत्र भरा लिया और इसी के दम पर भर्ती की अनुशंसा कर दी. अधिकारियों ने अपनी तरफ से मार्कशीट की जांच कराने या प्रमाणित करवाने की कोशिश नहीं की.
ऐसे हुआ खुलासा
इस भ्रष्टाचार का खुलासा भर्ती से चूक गए आवेदकों ने किया. कुछ आवेदकों ने सूचना के अधिकार के बल पर माध्यमिक शिक्षा मंडल से भर्ती हुए शिक्षाकर्मियों की मार्कशीट की कॉपी हासिल की. इससे ये साफ हो गया कि इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली की गई. इससे फर्जी मार्कशीट देकर नौकरी कर रहे शिक्षाकर्मी तो फंसे साथ ही कई अधिकारियों के भी नाम सामने आए.
जनपद की तर्ज पर जिला पंचायत में हुई भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है. इससे नौकरी से चूक गए असली मेरिट वाले आवेदकों में खुशी है.