धमतरी:जिले में प्रतिबंध के बावजूद महानदी से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन अपने चरम सीमा पर चल रहा है. यहां रोजाना सैकड़ों ट्रॉली और हाइवा रेत महानदी से निकाली जा रही है. हालांकि इसे रोकने के लिए अफसरों की टीम जरूर बनी है और ये टीम लगातार कार्रवाई भी कर रही है. इसके बाद भी रेत की चोरी नहीं थम रही है.
आलम यह है कि नदी तटीय क्षेत्रों में रेत माफिया सक्रिय है और रेत की जमकर निकासी कर रहा है. रेत के इस खेल में भाजपा-कांग्रेस से जुड़े कई लोग शामिल हैं, जो पद, पैसा और उच्च स्तर पर पहुंच के बल पर अवैध रूप से रेत की निकासी करा रहे हैं. इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. इधर अवैध उत्खनन को रोकने के लिए खनिज महकमा संजीदा नहीं है. कार्रवाई के नाम पर सिर्फ गिनती के ट्रैक्टर और हाइवा के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति की गई है. जबकि देर रात रेत खदानों में चोरी छिपे मशीन डालकर रेत की निकासी की जा रही है. लेकिन इसे नजर अंदाज कर रेत माफियाओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है. जिले में लगभग 65 रेत खदाने हैं, लेकिन स्वीकृत खदानों की संख्या लगभग 33 है. इसके अलावा रेत खदान में पाबंदी के बाद जिले में करीब 19 जगह रेत डंपिंग स्थल बनाया गया, जहां से रेत की सप्लाई किया जाना था, लेकिन डंपिंग स्थलों में रेत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जबकि रोजाना सैकड़ों रेत से भरी छोटी-बड़ी गाड़ियां इधर से उधर हो रही हैं.
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खनिज विभाग की मानें तो अवैध उत्खनन और परिवहन की शिकायत पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. अभी तक 260 प्रकरण अवैध परिवहन के सामने आए हैं. वहीं 4 प्रकरण अवैध उत्खनन और 10 अवैध भंडारण के सामने आए हैं. जिन पर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा लगातार सरप्राइस चैकिंग भी की जा रही है. अफसरों की मानें तो वित्तीय वर्ष में शासन को रेत खदानों से करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का राजस्व मिला है.
बेखौफ होकर रेत का हो रहा कारोबार
बहरहाल जिले में रेत माफिया बेखौफ होकर रेत के कारोबार को अंजाम दे रहा है और इनके लिए शासन-प्रशासन के नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते हैं. ऐसे में खनिज विभाग की कार्यशैली को लेकर सवाल भी उठने लगा है.