छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Chhattisgarh Election 2023 : सज धज के तैयार हो रहे चुनावी मौसम में घोड़े, जानिए क्या कर सकते हैं कमाल ? - छत्तीसगढ़ में घोड़े से चुनाव प्रचार

Chhattisgarh Election 2023 छत्तीसगढ़ में चुनावी समर का रोमांच बढ़ रहा है.प्रदेश की 20 सीटों के लिए 7 नवंबर को मतदान होगा.इसके बाद बारी आएगी बची हुई 70 विधानसभाओं की. जिसके लिए मतदान दूसरे चरण में 17 नवंबर को होगा. इसके लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है.बात करें धमतरी जिले की तो इस जिले में तीन विधानसभा आते हैं.ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि तीनों ही विधानसभा में सीधी टक्कर कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगी.जिसके लिए दोनों ही दल के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुटे हैं. ऐसे में जिले के बग्गी वाले भी अपने घोड़ों को तैयार करने में जुटे हैं,लेकिन क्यों आईए हम आपको बताते हैं.Dhamtari Election News

Chhattisgarh Election 2023
सज धज के तैयार हो रहे चुनावी मौसम में घोड़े

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 2, 2023, 9:31 PM IST

Updated : Nov 3, 2023, 12:38 PM IST

सज धज के तैयार हो रहे चुनावी मौसम में घोड़े

धमतरी : धमतरी समेत पूरे छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को वोटिंग होगी.प्रत्याशी अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं.ऐसे में शहर के बग्गी वाले अपने घोड़ों को खास ट्रेनिंग दे रहे हैं.आप सोच रहे होंगे कि चुनावी मौसम में बग्गी और घोड़ों का क्या काम.लेकिन जरा रुकिए क्योंकि हम आपको बताएंगे कि क्यों बिन शादी और बारात के ये घोड़े तैयार किए जा रहे हैं.

क्यों तैयार किए जा रहे हैं घोड़े ? :बग्गी वालों के घोड़े अक्सर शादी की बारात के लिए तैयार होते हैं.लेकिन इस बार घोड़ा मालिकों को ये भरोसा है कि चुनाव में प्रचार के लिए घोड़ों की भी डिमांड होगी इसलिए घोड़ों को भी चुनाव के हिसाब से रेडी करना बड़ी चुनौती है. घोड़ा मालिकों की माने तो उन्हें उम्मीद है कि अबकी बार प्रत्याशी घोड़ों से भी प्रचार करेंगे.क्योंकि उनके शानदार घोड़ों को देखने के लिए भीड़ आएगी.जिसकी दरकार प्रत्याशियों को रहती है.

चुनाव प्रचार के लिए दी जा रही ट्रेनिंग :घोड़ों के मालिक शादी-बारात में बुक होने वाले पंजाबी और मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों को चुनावी रैली के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं.शहर के गांधी मैदान में 6 फीट ऊंचे घोड़ों को सजीले काठी, रकाब, मुकुट और लगाम के साथ प्रैक्टिस कराई जा रही है.इनमें से ज्यादातर पंजाबी और मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हैं.जिनके पैरों में बंधे घुंघुरुओं की आवाज आने जाने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है.घोड़ों के मालिक कभी घोड़े को नचाते हैं तो कभी दो टांगों पर खड़ा करते है.

घोड़ों से रैली में जुटेगी भीड़ :अक्सर आपने देखा होगा कि किसी बड़े नेता की रैली में भीड़ जुटाने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जाता है.क्योंकि भीड़ अक्सर हेलीकॉप्टर को उतरने और फिर उड़ान भरते देखने आती है.ठीक उसी तरह घोड़े वालों का मानना है कि यदि प्रत्याशी लोकल हो तो छैल छबीले और खूबसूरत घोड़े के साथ प्रचार करने पर उसकी रैली में भीड़ जरूर इकट्ठा होगी.

अभी तक इन घोड़ों की बुकिंग शादी और बारात में बग्गी या दूल्हे की सवारी के लिए होती रही है. शादी का सीजन देवउठनी एकादशी के बाद ही शुरु होगा.ऐसे में चुनावी मौसम में बड़े दलों के प्रत्याशी अपने प्रचार प्रसार को अलग तरीके से करने के लिए घोड़ों की बुकिंग जरुर करेंगे.ऐसे में घोड़ों को चुनाव की रैली के हिसाब से तैयार करना जरुरी है.विक्की भाई, घोड़ा मालिक

कितनी है कमाई की उम्मीद ? :किसी शादी की बुकिंग मिलने पर घोड़ा मालिक एक ही दिन में कुछ घंटों के लिए 7 हजार तक कमा लेते हैं.ऐसे में शादियों का सीजन घोड़ा मालिकों के लिए पूरे साल भर की कमाई का जरिया होता है.लेकिन अभी शादियों का सीजन दूर है.लेकिन उससे पहले लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व का दौर चल रहा है.ऐसे में चुनाव भी घोड़ा मालिकों को अच्छी कमाई देकर जा सकता है.

करवा चौथ के व्रत में चुनाव प्रचार, निर्जला उपवास में भी जोश नहीं हुआ कम, जनता से कर रहीं जिताने की अपील
Bhupesh Baghel Asks Election Commission: सीआरपीएफ के बक्सों में मतदाताओं को प्रभावित करने लाये जा सकते हैं पैसे, आयोग करे जांच: भूपेश बघेल


क्या कहते हैं प्रत्याशी ? :चुनाव के लिए भले ही घोड़ा मालिक अपने घोड़ों को तैयारी करवा रहे हो,लेकिन क्या वाकई आधुनिकता के दौर में प्रत्याशी घोड़ों को लेकर गंभीर हैं.ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्थानीय नेताओं से बात की.जिसमें नेताओं का मानना है कि घोड़ों का प्रचार में इस्तेमाल करना एक अच्छी सोच हो सकती है.कुछ ने इसे रोजगार से जोड़कर देखा तो कुछ नेताओं ने इसे बिना किसी शोरगुल के चुनाव प्रचार करने का साधन बताया.

घोड़ा मालिकों को मिल सकता है रोजगार :इस बारे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता देवेंद्र जैन ने कहा कि रोजगार से घुड़सवार भी जुड़े हैं. हर पार्टी को ये चाहिए की चुनाव के दौरान घोड़ा मालिकों को भी रोजगार दिया जाए.इससे चुनाव प्रचार अच्छे से होगा,वहीं हल्ला हंगामा से बचा भी जा सकता है.

बसपा नेता आशीष रात्रे के मुताबिक घोड़े की सवारी करके यदि कोई चुनाव प्रचार करता है तो किसी तरह का आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होगा.इससे स्थानीय लोगों को रोजगार ही मिलेगा.

हर जगह नहीं जा सकता घोड़ा :बीजेपी के युवा नेता चेतन हिंदुजा के मुताबिक घोड़ा पालने की परम्परा पुरानी है. घोड़ा रोजगार का साधन बन सकता है. लेकिन घोड़े को हर जगह नहीं दौड़ाया जा सकता है. आधुनिकता के समय में इन सब का उपयोग करना संभव नहीं है.

भीड़ जुटाने का बन सकते हैं साधन :घोड़ों को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने को लेकर जनप्रतिनिधियों की अलग-अलग राय है.किसी के लिए घोड़ों को इस्तेमाल करना चुनाव प्रचार के साथ रोजगार के नए साधन पैदा करने का जरिया है तो किसी का मानना है कि घोड़ों का इस्तेमाल हर जगह नहीं हो सकता.आधुनिक जमाने में कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए वाहन ही अच्छा साधन है.लेकिन इससे अलग यदि भीड़ जुटाने की बात हो तो सुंदर सजे हुए घोड़ों से अच्छा कुछ नहीं.क्योंकि कम पैसों में ही प्रत्याशी को कई लोगों की अटेंशन जरुर मिलेगी. यदि चुनावी जुलूस और सभाओं में घोड़ों के करतब होंगे तो ये बेशक अनोखा होगा.जो भीड़ खींचने में कारगर भी साबित हो सकता है.

Last Updated : Nov 3, 2023, 12:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details