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Dhamtari : किसानों ने कलेक्टर दफ्तर का किया घेराव, वनभूमि पर अधिकार की मांग

धमतरी में किसानों ने मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर कलेक्टर दफ्तर का घेराव किया. किसानों की मांग थी कि शासन की योजनाओं का लाभ वनग्रामों तक नहीं पहुंच रहा है. साथ ही साथ वो जिस भूमि में बरसों से रह रहे हैं. उसका अधिकार पत्र भी नहीं दिया गया है.

forest rights land in dhamtari
110 गांवों के किसानों ने किया प्रदर्शन

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Published : May 8, 2023, 9:05 PM IST

किसानों का हल्ला बोल

धमतरी : वनांचल इलाके के तकरीबन 110 गांव के किसानों ने मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर रैली निकाली. इस दौरान ग्रामीणों ने कलेक्टर दफ्तर तक पदयात्रा की. 38 डिग्री तापमान में किसानों ने करीब 3 घंटे तक प्रदर्शन किया.इस दौरान पुलिस के अधिकारी और फोर्स मौके पर थे .मौके पर एसडीएम,डिप्टी कलेक्टर,तहसीलदार भी मौजूद थे.कलेक्टर से मिलने की जिद पर अड़े किसानों से जब कलेक्टर नहीं मिले तो किसान बिना ज्ञापन दिए लौट गए.नाराज किसानों ने अंबेडकर चौक में चक्काजाम करने की कोशिश की.इस दौरान पुलिस से झूमाझटकी भी हुई.अफसरों के समझाइश बाद किसान वापस लौटे .



क्या है किसानों का आरोप :ग्रामीणों का आरोप है कि '' आजादी के पूर्व से काबिज वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया था.ग्रामों में राजस्व का बोर्ड भी लगाया गया. इसके अलावा जमीन की ऋण पुस्तिका भी बनाई गई, लेकिन राजस्व ग्राम की तरह उन्हें ऋण पुस्तिका नहीं दिया गया,जिससे इन गांवों के किसानों को शासन के चलाए जा रहे किसी भी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.जिसके कारण किसानों को भटकना पड़ रहा है.''


किसान नेताओं का कहना है कि '' इन क्षेत्रों के अधिकांश गांवों न तो बिजली है और न तो सड़क है.किसी भी कार्य के लिए उन्हें ब्लॉक मुख्यालय तक का सफर तय करना पड़ता है.आजादी से पहले वह यहां बसे हैं लेकिन इसके बाद भी सुविधाएं नही मिल रही हैं.आजादी के पहले से रह रहे इन किसानों को आज भी भूस्वामी का पूर्णतया अधिकार नही मिला है.''

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क्या है किसानों की मांग :किसानों की मांग है कि जमीन को लेकर भुइयां पोर्टल में जमीन के रिकॉर्ड को सुधारा जाए. इसके अलावा कास्त भूमि का बंटवारा नामांतरण का प्रावधान राजस्व विभाग के ऋण पुस्तिका पट्टा में किया जाए. परिवर्तित राजस्व ग्रामों के किसानों को अन्य गांवों की भांति सुविधा प्रदान की जाए.अभ्यारण क्षेत्र में लघु वनोपज संग्रहण का पूर्ण अधिकार दिया जाए. हाथियों के फसल हानि पर प्रति एकड़ 4 हजार मुआवजा और हाथियों से जनहानि पर 50 लाख का मुआवजा दिया जाए. किसानों ने कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे.

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