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Special: खेती के लिए आसानी से मिल रहे मजदूर, लेकिन बढ़ती मजदूरी ने बढ़ाई किसानों की चिंता - खरीफ फसल की खेती

छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून तय वक्त से पहले पहुंच गया, जिसके बाद से किसान खेती के कामों में जुट गए हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से इस साल खेती के लिए मजदूर मिलने में परेशानी होने की संभवना जताई जा रही थी, लेकिन कोविड-19 और लॉकडाउन ने की वजह से मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई, जिसके बाद वो मजबूरन खेतों का रुख करने लगे.

laborers are easily available for cultivation
खेतों में लौटे कामगार

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Published : Aug 9, 2020, 1:33 PM IST

धमतरी: इन दिनों ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी का कार्य तेजी से चल रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण काल में किसानों को कृषि कार्य में छूट दे दी गई है. उम्मीद थी कि लोग कोरोना संक्रमण के डर से खेती की ओर नहीं जाएंगे और किसानों के सामने मजदूरों की समस्या आन खड़ी होगी. लेकिन इस महामारी में रोजगार के अवसर खत्म होने के बाद अब मजदूरों का झुकाव खेती की ओर हुआ है. खेतिहर मजदूर अब रोपा,लाईचोपि,बोयता जैसे कार्यों में मजदूरी कर कोरोना संक्रमण काल में अपनी आजीविका चला रहे हैं.

खेतों में लौटे कामगार
मानसून के पहले की गतिविधियों के बीच किसानों ने खरीफ सीजन के लिए जोताई शुरू कर दी है. मानसून में बेहतर बारिश की संभावना को देखते हुए जिले में पिछले साल की तुलना में किसानों ने इस बार ज्यादा खरीफ फसल की पैदावार की है.
खेती के काम में जुटे मजदूर

फसलों के नुकसान का डर
किसानों का कहना है कि मानसून के सीजन में ठीक से बारिश नहीं होने की वजह से खेती का काम बिछड़ गया है. बारिश नहीं हुई तो, फसलें प्रभावित हो सकती हैं. इसके पहले हरेली त्यौहार तक खेतों में बोआई का काम पूरा हो जाता था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो पाया है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के कई जिलो में मानसून ब्रेक की स्थिती को देखते हुए फसलों के नुकसान का डर बना हुआ है.

खेती करता किसान


मजदूरी दर में बढ़ोतरी
किसानों का कहना है कि इस बार खेती किसानी के लिए पर्याप्त मात्रा में मजदूर मिल रहे हैं, लेकिन मजदूरी पिछली बार की तुलना में जरूर बढ़ गई है. पिछले साल की तुलना में मजदूरी की दर में करीब 20 से 30 रुपए का इजाफा हुआ है. महिला मजदूरों 130 से 140 रुपये प्रतिदिन तक मजदूरी मिल रही है. वहीं ठेका में 250 से 300 रुपए प्रति दिन की मजदूरी मिल जा रही है. इसके अलावा पुरुष मजदूरों को 250 रुपए तक की मजदूरी मिल रही है.

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काम पर पड़ा असर
खेतिहर मजदूरों का कहना है कि कोरोना के वजह से मजदूरी पर असर पड़ा है. लंबे समय से उन्हें घर पर खाली बैठना पड़ा है जिससे रोजी-रोटी की समस्या खड़ी होने लगी थी. वहीं बारिश होने के बाद अब उन्हें खेती में काम में रहा है, लेकिन बारिश नहीं होने से इसका असर काम पर भी पड़ सकता है.

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