Dhamtari Gandhi Maidan Dirty: गांधी जयंती के दिन धमतरी का गांधी मैदान दिखा गंदा, किसी राजनेता ने नहीं ली सुध
Dhamtari Gandhi Maidan Dirty:धमतरी का गांधी मैदान गांधी जयंती के दिन भी गंदगी और कचरों से भरा नजर आया. यहां तक कि कोई नेता यहां झांकने तक नहीं आया. दरअसल, इस मैदान से देश का इतिहास जुड़ा है. यही कारण है कि इस मैदान के प्रति प्रशासन की बेरूखी से आम जनता नाराज है.
धमतरी: पूरे देश में सोमवार को गांधी जयंती मनाई गई. गांधी जी ने स्वच्छता का संदेश दिया था. पूरे देश सहित छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में गांधी जयंती से पहले सफाई अभियान भी चलाया गया. हालांकि धमतरी के गांधी मैदान में धूल और मिट्टी पसरा हुई दिखी. धमतरी के इसी मैदान से गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. यही कारण है कि इस मैदान का नाम गांधी मैदान पड़ा है. लेकिन गांधी जयंती के दिन इस मैदान को ही लोग साफ करना भूल गए.
पूरे गांधी मैदान में गंदगी: इस पूरे मैदान में गंदगी फैली हुई है. दीवारों, तस्वीरों पर मकड़ी के जाले हैं. चिड़ियों की सफेद बिट से काला ग्रेनाइट पत्थर सफेद हो चुका है. पूरे मैदान में हर जगह धूल ही धूल है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि मैदान के ठीक पास में नगर निगम का दफ्तर है. सफाईकर्मी वहीं से होकर दूसरे जगह साफ-सफाई के लिए जाते हैं. हालांकि किसी की भी नजर इस मैदान पर नहीं पड़ी है. किसी ने भी इस मैदान को साफ करने का सोचा तक नहीं.
छत्तीसगढ़ से गांधीजी का नाता: दरअसल, छत्तीसगढ़ से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का रिश्ता काफी पुराना है. असहयोग आंदोलन की अलख छत्तीसगढ़ के कंडेल नहर सत्याग्रह से जगी थी. कंडेल नहर सत्याग्रह में शामिल होने के लिए 20 दिसंबर 1920 को जब महात्मा महात्मा गांधी धमतरी पहुंचे, तो उन्हें सुनने के लिए इतनी भीड़ आ गई कि उमर सेठ नाम के व्यपारी ने गांधी जी को अपने कंधे पर बैठाकर मंच तक पहुंचाया. इसके बाद गांधी जी ने सभा को एक घंटे तक संबोधित किया. महात्मा गांधी के संबोधन की ही देन थी कि अंग्रेजों को न केवल अपना फैसला बदलना पड़ा.
लोग गांधी जी की जयंती पर तस्वीरें ले रहे हैं. उनकी फोटो के साथ सेल्फी ले रहे हैं. लेकिन गांधी मैदान की सफाई पर इनका ध्यान नहीं गया है. शायद आजकल के नेताओं को इतिहास का उतना ज्ञान नहीं है. इसलिए वो इस मैदान को आज के दिन भी भूल गए.- स्थानीय
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में गांधी जी का दो बार आना हुआ था. यहां के जिस मैदान पर गांधी जी सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए थे, उस मैदान को गांधी मैदान कहा जाता है. गांधी जयंती पर भाजपा, कांग्रेस के नेताओं ने जगह-जगह प्रतीकात्मक झाड़ू लगा कर स्वच्छता का ढोल भी पीटा है. लेकिन जहां खुद गांधी जी बैठे थे, उसी जगह की सफाई करना ये भूल गए.