धमतरी: हमारा देश तरक्की की राह पर आगे बढ रहा है. लेकिन धमतरी के नगरी ब्लॉक के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. पहाड़ी जंगल अचंल में बसे इन गावों के लोग विकास की मुख्य धारा से कोसो दूर हैं. आजादी के 75 साल बाद भी यहां विकास सिर्फ कागजों पर ही है. पीड़ित लोग धरना, प्रदर्शन आंदोलन से लेकर सरकारी दफतरों कई चक्कर काटे हैं. लेकिन उन्हें इससे कोई मदद नहीं मिली. अब ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.
Development on paper: आजादी के 75 साल बाद भी कागजों पर विकास, ग्रामीणों का चुनाव बहिष्कार का ऐलान
आजादी के 75 साल बाद भी धमतरी के कई गांवों में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने से लेकर सरकारी दफ्तरों के कई बार चक्कर काट चुके हैं. अब परेशान ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.
संघर्ष समिति ये है मुख्य मांगें:अरसीकन्हार से गरहाडीह जक्षन तक प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़क बनवाया जाए, गहनसियार से चमेदा तक प्रधानंमत्री सड़क योजना बनाया जाए, खल्लारी से रिसगांव तक प्रधानमंत्री सड़क बनाया जाए, ठोठाझरिया से बिरनसिल्ली तक प्रधानमंत्री सड़क बनाया जाए, सोढूर नदी में रिसाई माता के पास सेतू निर्माण, खल्लारी नदी में सेतू निर्माण, आभाकडा नदी मे सेतू निर्माण, छिदनाला नदी मे सेतू निर्माण, करही नदी मे सेतू निर्माण, भीरागांव से खल्लारी चमेदा और रिसगांव से जोरातराई तक बिजली कनेक्शन कराई जाए, रिगांव मे प्रथामिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण, ग्राम पंचायत रिसगांव, करही, खल्लारी के सभी आश्रित गांवों के चौक चैराहों में हाई मास्क सोलर लाईट की व्यावस्था की जाए, ग्राम पंचायत रिसगांव, करही, खल्लारी, रिसगांव के सभी आश्रित ग्रामों में कांकी्रट टंकी की निर्माण किया जाए.
प्रशासनिक अमले में हड़कंप:अभ्यारण संघर्ष समिति के चुनाव बहिष्कार का एलान करने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया. आनन फानन में प्रशासन ने रिसगांव मे जन समस्या शिविर लगाने पहुंच गई है. लेकिन गांव के लोगों को शिविर लगाने से भी कोई फायदा नहीं मिल पाया. इधर प्रशासन ग्रामीणों को रटा रटाया जवाब देते हुए नियम कानून बता रही है.