धमतरी:शहर में इस बार रक्षाबंधन पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर चाइनीज राखी नहीं, बल्कि गाय के गोबर, बांस और सूत के धागे से बनी हस्तनिर्मित देशी कलेवर वाली राखियां बांधेगी. इसके लिए जिले के सभी ब्लॉक मुख्यालय सहित शहर के तीन अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाया जा चुका है, जहां महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इन राखियों को बेच रही हैं. वहीं महिलाओं के इस प्रयास को सफल बनाने के लिए समाज सेवी संस्थाएं भी सहयोग दे रही हैं.
धमतरी में सजी राखियों की दुकान जिले के कुछ दूर स्थित छाती क्षेत्र के मल्टी यूटिलिटी सेंटर में तैयार की गई राखियों को अब लोगों के लिए बाजार में लाया गया है. इनमें ओज बंधन राखी और आद्य बंधन राखी हैं, जिसमें बच्चों की राखियां, बांस की राखियां, गोबर की राखियां, कुमकुम और अक्षत बंधन राखियां शामिल हैं. सभी राखियों के अलग-अलग दाम तय किए गए हैं. इसमें 30 रुपए से लेकर 120 रुपए तक की राखियां हैं. वहीं बांस की राखियां 50 से शुरू होकर 120 तक हैं, जबकि गोबर की राखियां और भाई-भाभी वाली राखियां 120 तक बेची जा रही हैं.
शहर के अलग-अलग जगहों पर लगाए गए स्टाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान को देखते हुए धमतरी में भी बिहान योजना के तहत कई कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राखी बनाने की यह पहल कारगर साबित हो रही है. इसी के तहत छाती के मल्टी यूटिलिटी सेंटर में बांस और गोबर से राखियां तैयार की जा रही हैं. समूह को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग विभागों ने करीब 10 हजार राखियों का ऑर्डर पहले ही दे दिया है. वहीं आम जनता तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग जगह स्टाल भी लगाए गए हैं, जहां कोरोना काल में शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए लेमन-टी सहित अन्य उत्पाद भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
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समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन और जिला पंचायत लगातार राखियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इसके साथ ही जिले की समाजसेवी संस्था सृष्टि फाउंडेशन की डायरेक्टर भी लगातार लोगों से अपील कर रही हैं कि चाइनीज राखियों का बॉयकॉट कर हाथ से बनी इन राखियों को लोग ज्यादा से ज्यादा खरीदें. समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोगों को अपना योगदान भी देना चाहिए.