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धमतरी : कोर्ट ने 10 फर्जी शिक्षाकर्मियों को सुनाई 5-5 साल की सजा - Fake education worker case

फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में कोर्ट ने 10 शिक्षाकर्मियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है और 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला
फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

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Published : Feb 12, 2020, 12:04 AM IST

धमतरी : फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में सीजेएम कोर्ट का अहम फैसला आया है. सीजेएम मोना चौहान ने सुनवाई करते हुए 10 शिक्षाकर्मियों को 5-5 साल की जेल और 25 हजार के जुर्माने की सजा दी है.

फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

बता दें कि दोषी शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के हैं. सभी पर आरोप थे कि इन्होंने कूटरचित मार्कशीट के आधार पर शासन को धोखा देकर नौकरी हासिल की है. इस मामले का खुलासा 2011 में सूचना के अधिकार के तहत हासिल दस्तावेजों से हुआ था, जिस पर लगातार जांच हुई और मामला कोर्ट में गया. अब 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है.

RTI कार्यकर्ता ने 10 शिक्षाकर्मियों के खिलाफ की थी शिकायत

22 जुलाई 2011 को आरटीआई कार्यकर्ता चंदना निवासी कृष्ण कुमार साहू ने जनपद पंचायत मगरलोड में भर्ती हुए शिक्षाकर्मी वर्ग 3 में फर्जीवाड़ा होने की शिकायत की थी. इस मामले में मगरलोड पुलिस ने 10 शिक्षाकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. ये मामला कुरुद न्यायालय से धमतरी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोना चौहान के कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था, जिसकी सुनवाई सोमवार 10 फरवरी को हुई.

5 साल की सजा के साथ 25 हजार का लगा जुर्माना

इस मामले में न्यायालय ने पिलेश्वर साहू, धर्मेंद्र ठाकुर, खेमन लाल साहू ,ललेश साहू, नारायण कश्यप, जितेंद्र साहू, सुरेश यादव, त्रिवेणी साहू, मेनुका दीवान और दुर्गा साहू को 5 साल की सजा सुनाते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

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