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धमतरी में धान का उठाव नहीं होने से HC की शरण में 25 सहकारी समितियां

धमतरी के धान खरीदी केंद्रों (Paddy Purchase Center of Dhamtari ) में धान पड़े-पड़े सूखने लगा है. जिसका खामियाजा समितियों को उठाना पड़ रहा है. सहकारी समितियों (co-operative societies) का कहना है कि राज्य शासन के अनुसार खरीदी केंद्रों से 72 घंटे के अंदर धान का उठाव हो जाना चाहिए. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं हुआ जिसके कारण धान सूख गया है. धान का ठीक से रखरखाव करना समिति की जिम्मेदारी मानकर नुकसान या शार्टेज की भरपाई समितियों को वहन करने के लिए कहा जा रहा है. जिसके खिलाफ अब समितियों हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) जा रही है.

cooperative societies reached Chhattisgarh High Court due to non-lifting of paddy in Dhamtari
धमतरी में धान का उठाव नहीं होने से कोर्ट पहुंची समितियां

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Published : Jun 21, 2021, 9:29 AM IST

धमतरी:जिले के धान खरीदी केंद्रों (Paddy Purchase Center ) में धान की सूखत की वजह से आए शाॅर्टेज को लेकर समितियों पर ठीकरा फोड़े जाने के बाद अब सहकारी समितियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है. बीजेपी ने भी इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी का आरोप है कि सरकार समितियों को भंग करना चाहती है. फिलहाल कई समितियों ने हाईकोर्ट की (Chhattisgarh High Court) शरण ली है.

धमतरी में धान का उठाव नहीं होने से कोर्ट पहुंची समितियां

धान के उठाव और मिलिंग में पिछड़ा धमतरी (Dhamtari )

धमतरी (Dhamtari ) जिला धान के उठाव और कस्टम मिलिंग (custom milling) के लिए प्रदेश में नंबर वन माना जाता है. हर साल समय सीमा पर धान उठाव और चावल जमा किए जाने का रिकॉर्ड भी है. लेकिन इस साल धान का उठाव और मिलिंग में जिला पिछड़ गया है. जिले के 89 उपार्जन केंद्रों में इस साल 42 लाख 76 हजार 798 क्विंटल धान खरीदा गया. लेकिन इस बार उठाओ और मिलिंग नहीं होने के कारण 8 सोसायटियों में 1191 मीट्रिक टन धान जाम है. धान खरीदी केंद्रों में बफर लिमिट से ज्यादा धान जाम होने पर सहकारी समितियों और कर्मचारी संघ ने समय-समय पर धान उठाव में तेजी लाने के लिए प्रशासन से मांग भी की लेकिन धान का उठाव सुस्त ही रहा.

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25 सोसायटी पहुंची हाईकोर्ट

जिससे खुले में पड़ा कई क्विंटल धान सूख गया. इस दौरान चूहों ने भी खूब नुकसान पहुंचाया. इधर धान का ठीक से रखरखाव करना समिति की जिम्मेदारी मानकर नुकसान या शार्टेज की भरपाई समितियों को वहन करने के लिए कहा जा रहा है. जिसके खिलाफ अब समितियों हाईकोर्ट जा रही है. सहकारी संगठन के जिला अध्यक्ष नरेंद्र साहू (District President of Cooperative Organization Narendra Sahu) ने बताया कि सोसायटी नुकसान की भरपाई करेगी तो उनका अस्तित्व खतरे में आ जाएगा. नियम के तहत धान खरीदी केंद्रों में बफर लिमिट होने पर 72 घंटे के अंदर धान का उठाव किया जाना था. लेकिन धान महीनों जाम रहा. इसे लेकर अब जिले के करीब 25 सोसाइटी ने हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) में अपील की है.

समितियों को भंग करने की साजिश: शशि पवार

इधर छत्तीसगढ़ बीजेपी (Chhattisgarh BJP) भी समितियों के साथ आ गई है. बीजेपी के जिलाअध्यक्ष शशि पवार का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने पहले किसानों का धान (Paddy) रोककर उन्हें परेशान किया. धान की खरीदी के बाद भी उनकी मिलिंग नहीं करा सकी. सरकार धान को जानबूझकर खराब कर रही है. इससे राज्य को भारी राजस्व (revenue) का नुकसान होगा. सरकार ने समितियों को भंग करने की कोशिश की. लेकिन कोर्ट जाने के बाद उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी. इस बार भी सूखत की आड़ में समिति संचालक मंडल को भंग करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि धान का मिलिंग और उठाव (
Paddy milling and lifting) नहीं कराना एक साजिश का हिस्सा है.

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केंद्र की कथनी और करनी में अंतर: रामगोपाल अग्रवाल

इधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि शासन ने करोड़ों रुपये खर्च कर धान खरीदी की, उनका मिलिंग भी करा रही है. अग्रवाल ने कहा कि केंद्र ने 60 लाख टन चावल लेने की बात कही थी लेकिन सिर्फ 24 लाख टन चावल ही लिया. केंद्र की इस दोहरी नीति के कारण ही प्रदेश के खरीदी केंद्रों में धान जाम हो गया. केंद्रों में धान सूखने की भरपाई को लेकर राज्य स्तर पर निर्णय लिया जाएगा. कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाएगा.

बहरहाल जिले की दो दर्जन समिति हाईकोर्ट की शरण में है. इसके साथ ही समितियों के अधिकारी-कर्मचारी अब आंदोलन करने के मूड में है. कर्मचारी अपने-अपने कार्यालयों में तख्ती लगाकर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं.

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