छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

नदिया किनारे, किसके सहारे: क्या है मोक्ष देने वाली महानदी का 'महादर्द'

सिहावा की पहाड़ी से निकलने के बाद महानदी करीब 60 किलोमीटर का सफर तय करके धमतरी शहर के करीब पहुंचती है. यहां तक पहुंचने तक महानदी काफी चौड़ी हो जाती है. दोनों तटों के बीच एक किलोमीटर तक चौड़ाई हो जाती है.

By

Published : Jun 17, 2019, 11:43 PM IST

डिजाइन इमेज

धमतरी: नदियां किनारे, किसके सहारे में जारी है महानदी का सफर. सिहावा की पहाड़ी से निकलने के बाद महानदी करीब 60 किलोमीटर का सफर तय करके धमतरी शहर के करीब पहुंचती है. यहां तक पहुंचने तक महानदी काफी चौड़ी हो जाती है. दोनों तटों के बीच एक किलोमीटर तक चौड़ाई हो जाती है.

महानदी का 'महादर्द'

यहां तक पहुंचते-पहुंचते महानदी पर गंगरेल जैसे बड़े बांध समेत कई बैराज का निर्माण हो चुका है. महानदी पर बने बांध से न केवल इलाके में बड़े पैमाने पर सिंचाई होती है बल्कि रायपुर धमतरी जैसे शहरों की प्यास भी बुझती है.

इस साल दूर-दूर तक सूखा
स्थानीय लोगों के मुताबिक इसके बाद भी कुछ साल पहले तक गर्मी के दिनों में भी महानदी में थोड़ी बहुत ही सही लेकिन पानी रहता था. इससे लोगों के साथ ही मवेशियों और पक्षियों की प्यास तपती गर्मी में बुझ जाया करती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां व्यापक पैमाने पर रेत उत्खनन किया जा रहा है. इसके चलते अब यहां हर तरफ सूखा नजर आता है. दिनों-दिन हालात भयावह होते जा रहे हैं.

हर दिन सैकड़ों ट्रक निकाली जाती है रेत
धमतरी शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर इस रेत खदान से दिन में ही रेत निकालने की अनुमति है लेकिन हमें कुछ लोगों ने बताया कि रात में भी अवैध तरीके से यहां से रेत निकाली जाती है. इस तरह जिले से ही तकरीबन 800 से 1 हजार हाइवा रेत प्रतिदिन महानदी से निकाल ली जाती है.

एक-एक बूंद पानी को तरस रही है नदी
बदस्तूर रेत निकाले जाने का ही नतीजा है कि महानदी अपने गृह जिले में ही एक-एक बूंद पानी के लिए मोहताज हो जाती है. अभी इसे बहुत लंबा सफर तय करना है प्यास बुझाने के साथ ही इसे मोक्षदायनी भी बनना है…लेकिन यहां ही इस तरह बदहाल हो चुकी महानदी कैसे खुद को संभालती है, या नहीं सम्हाल पाती. ये बताएंगे हम अपनी अगली रिपोर्ट में.

ABOUT THE AUTHOR

...view details