धमतरी: एशिया के इकलौते साइफन सिस्टम बांध कहे जाने वाले मॉडमसिल्ली बांध को अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम से जाना जाएगा. ये आदेश राज्य सरकार की ओर से जारी किया गया है. दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा गांधी विचार यात्रा के दौरान बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के गृहग्राम में आयोजित एक सभा में की थी.
दरअसल, धमतरी जिले में मौजूद मॉडमसिल्ली बांध एशिया का इकलौता ऐसा बांध है. जहां साइंस का अद्भुत नजारा दिखाई देता है. सदियों से बदस्तूर काम करते इसके साइफन सिस्टम आज भी भौतिकी के सिद्धांत की सटीकता की गवाही देते हैं. सायफन सिस्टम पानी और हवा के दबाव से खुद-ब-खुद नियंत्रित होती है. यही वजह है कि इस बेमिसाल मजबूती और तकनीकी की मिसाल सैलानियों को अपनी ओर खींच लेती है.
मॉडमसिल्ली बांध को 1905 में बनाया था
धमतरी से करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित मॉडमसिल्ली को 1905 में इंग्लैंड की मैडम सिल्ली ने बनाया था. इसलिए इसका नाम पहले मॉडमसिल्ली रख दिया गया था. ये बांध 8 साल में बनाकर तैयार किया गया था. बारिश के दिनों में जब इस बांध में पानी पूरी तरह लबालब हो जाता है, तो इसके 34 होल्स बारी-बारी से काम करना शुरू कर देते हैं. बांध के गेट खुद ब खुद खुल जाते हैं.