छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: दुनिया का अनोखा कुदरती दवाखाना, जहां हर मर्ज का होता है इलाज - Chhattisgarh Dhamtari

धमतरी जिले से 50 किलोमीटर दूर मगरलोड इलाके के जंगलों में बूटीगढ़ के नाम से मशहूर ये वही जगह है, जहां वो दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती हैं. जिसमें हर मर्ज का इलाज मुमकिन है. चाहे वो कितना भी घातक क्यों न हो.

Chhattisgarh Dhamtari Butigarh is the world unique natural hospital
दुनिया का अनोखा कुदरती दवाखाना बूटीगढ़

By

Published : Oct 24, 2020, 2:14 PM IST

धमतरी:जिले के मगरलोड इलाके में कुदरती, बियाबान जंगलों के बीच मौजूद बूटीगढ़ के नाम से मशहूर दुनिया का एक ऐसा दवाखाना है, जहां इंसान की हर बिमारी का इलाज होता है. जहां आयुर्वेद का खजाना है. इसके चप्पे-चप्पे पर पाई जाने वाली जड़ी बूटियों में वो असर है कि घातक और लाइलाज माने जाने वाले रोगों के मरीज भी ठीक हो जाते हैं. अतीत भी इस बात को बयां करता है कि कभी इस दवाखाने में कांकेर राज्य के घायल सैनिकों का इलाज होता था...वैसे माना जाता है कि वन देवी के वास के चलते भगवान धनवंतरी ने इस खास जगह में अपनी कृपा बरसाई है जो देश के वैद्यराजों को अपनी ओर खीचता है.

दुनिया का अनोखा कुदरती दवाखाना बूटीगढ़

दुर्लभ बूटियों का खजाना है बूटीगढ़

बता दें कि जिले से 50 किलोमीटर दूर मगरलोड इलाके के जंगलों में बूटीगढ़ के नाम से मशहूर ये वही जगह है, जहां वो दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती हैं. जिसमें हर मर्ज का इलाज मुमकिन है. चाहे वो कितना भी घातक क्यों न हो. और तो और इस बियाबान जंगलों की फिजाओं में भी इसका इतना असर आ गया है कि आने वाले मरीज इस खास जगह में आते ही बिना इलाज के अपने आपको काफी स्वस्थ महसूस करने लगते हैं. यहां के पानी में वो करिश्मा है. जिसे पीने के बाद त्वचा की बीमारी मानो छूमंतर हो जाती है.

पढ़ें- कोरोना ने दशहरे का बाजार किया फीका, रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर परेशान

कांकेर के राजा ने अपने घायल सैनिकों का कराया था इलाज

अतीत बयां करते हैं कि सालों पहले कांकेर के राजा जंग में अपने जख्मी सैनिकों के इलाज के लिए मीलों दूर इस बूटीगढ़ में भेजते थे. जो साल-छह माह इलाज कराने के बाद सेहदमंद होकर लौट जाते थे. यहां के लोग ये दावे से कहते हैं कि ये खास जगह किसी चमत्कार से कम नहीं है. जहां घातक बीमारियां भी ठीक हो जाती है.

देशभर के वैद्यराज पहुंचते हैं यहां

अगर इसकी और खासियतों को बयां करें तो करीब 20 मील दूर-दूर तक इंसानी आबादी न होने और जंगली जानवरों वाले इस जगह में देश के कई वैद्यराज यहां दवाओं की खोज में अक्सर आते रहते हैं. जिन्हें तलाश होती है, उन जड़ी बूटियों की जो दूसरी जगहों पर शायद नहीं मिलती.

पढ़ें- सिरपुर में स्थित है धसकुंड जलप्रपात, सुविधाओं के अभाव में पहचान खो रहा सुंदर पर्यटन स्थल

वन देवी का जंगल में वास

लोगों के आने-जाने से कुछ साल पहले यहां मंदिर का निर्माण भी हो गया. जहां लाइलाज रोंगों के साथ-साथ मंदिरों का दर्शन लाभ भी लोग लेते हैं. लोगों में ये मान्यता भी है कि वन देवी के आदेश पर धनवंतरी भगवान इस इलाके में अपनी कृपा बरसा रहे हैं. साथ ही ये भी शोध का विषय है कि ये भगवान श्रीराम के वन मार्ग गमन का क्षेत्र है और ननिहाल भी. ऐसे में इस दुर्लभ बूटीगढ़ को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए खास ध्यान देने की जरूरत है.

गांव में नहीं होती अन्न की कमी

माना जाता है कि यहा पैदा हुए अन्न को जो अपने यहा पोटली मे बांध के रखता है. उसके यहां कभी अन्न की कमी नहीं होती. वहीं मान्यता है कि पूर्व मे एक ऐसी बटलोही (भोजन पकाने का पात्र) यहां थी, जो आने वाले राहगीरो को ताजा खाना देती थी. कुदरत के इस अदभुत करिश्में और जड़ी बूटियों से भरा ये अनोखा खजाना देश के पुराने चिकित्सा पद्धति को आज भी जीवित रखा है, जो पुरातन जमाने की बेजोड़ कला है और आज भी यहां देखने को मिलता है.

For All Latest Updates

ABOUT THE AUTHOR

...view details