धमतरी: कोरोना काल में जन जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है. बाजार खुलने लगे हैं, लेकिन प्रदेशभर में बसों का संचालन अब तक शुरू नहीं हो पाया है. बसें नहीं चलने से बस ऑपरेटर आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. 8 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर में बस संचालकों ने धरना-प्रदर्शन किया. बस ऑपरेटर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और शासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
कोरोना संक्रमण की वजह से 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी. तभी से देश में ट्रेन फ्लाइट और बसों का परिचालन रोक दिया गया था. जिसके बाद से धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई और आवागमन की सभी सेवाओं को खोलने का फैसला लिया गया. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में लंबे अर्से से बसों का परिचालन नहीं होने से बस ऑपरेटर आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं.
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बस ऑपरेटरों ने राज्य सरकार से राहत देने की मांग करते हुए 8 सूत्रीय ज्ञापन भी दिया है. बस ऑपरेटरों के ज्ञापन को ध्यान में रखते हुए शासन ने बस आपरेटरों के लिए बुधवार को टैक्स में छूट देने की घोषणा की, लेकिन सभी मांगों पर सरकार ने नहीं विचार किया, जिसे देखते हुए बस संचालक धरने पर बैठ गए हैं. बस संचालक अपनी आठ सूत्री मांग पर अड़े हैं.
उग्र आंदोलन की दे चेतावनी
बस ऑपरेटर संघ का कहना है कि जब तक बस संचालकों की मांग शासन पूरी नहीं करेगा, तब तक बसों का संचालन शुरू नहीं किया जाएगा. अगर मांग पूरी नही होती है तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
बस संचालकों की मांग
- सितंबर माह 2020 से मार्च 2021 तक का टैक्स माफ किया जाए
- यात्री किराया 40% तक बढ़ाया जाए
- स्लीपर का टैक्स एक ही लिया जाए
- डीजल में वैट टैक्स की राशि को 50% प्रतिशत तक कम किया जाए
- के फॉर्म एवं एम फॉर्म के नियम 2009 की अधिसूचना को समाप्त किया जाए
- परमिट के नवीनीकरण के प्रत्येक हस्ताक्षर न होने पर कर ना लिया जाए
- भौतिक सत्यापन कर बैठक की क्षमता के आधार पर पंजीयन किया जाए
- पक्के परमिट को छोड़कर बाकी सारे काम पंजीयन अधिकारी आरटीओ और डीटीयू को दिया जाए