धमतरी :जिले में लॉकडाउन के बीच बेघर विक्षिप्तों को खाने-पीने की परेशानियों होने लगी थी. इन बेसहारा लोगों की पीड़ा को समझते हुए जिले के भोजराज मंधान ने उन्हें खाना खिलाने का बीड़ा उठा लिया. भोजराज न कोई जनप्रतिनिधि है और न ही समाजसेवी. उनका कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उनसे इन लोगों की तकलीफ देखी नहीं गई, इसलिए तब से जो भी घर पर बनता है वे टिफिन में पैक कर लोगों को खाना खिलाने निकल पड़ते हैं. संकट के इस समय जहां जनप्रतिनिधि वाहवाही लूटने के लिए तैयार हैं वहां एक आम आदमी लोगों को खाना खिलाने निकल पड़े हैं.
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सहारा बने भोजराज
अक्सर सड़कों के किनारे बेसहारा लोग बैठे दिख जाते हैं. इनमें से कुछ ने दिमागी संतुलन खो दिया है तो किसी को अपनों ने घर से बेदखल कर दिया है. ऐसे लोगों के पास न तो छत है और न खाने के लिए रोटी. आम दिनों में होटल या ढाबों के बाहर उन्हें खाना मिल जाया करता था, लेकिन लॉकडाउन में सभी जगह बंद होने से उन्हें खाली पेट ही कई दिनों तक सोना पड़ता है. धमतरी के भोजराज मंधान ने जब इन लोगों को देखा तो उनसे रहा नहीं गया. भोजराज ने तुरंत ही ऐसे लोगों को खाना खिलाने की ठान ली. हर रोज भोजराज घर से बड़ा टिफिन का डब्बा लेकर निकलते हैं और रास्ते में जो भी दिख जाता है उसे खाना खिलाते हैं. पेट भर खाना खाने के लिए बाद उन्हें लोग दुआएं देते नहीं थकते.