धमतरी:हर साल बारिश आती है और अपने साथ कई परेशानियां भी लेकर आती है. नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी सही प्रबंधन कर शहर को संवारने के लाख दावे करते हैं, लेकिन वक्त आने पर इन दावों की जमीनी स्थिति कुछ और ही बयां करती है. धमतरी में आलम ये है कि बरसात आते ही गंदगी से बजबजाते नाले-नालियां भरने लगते हैं और शहर के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन जाती है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सालभर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन बारिश आने के कुछ दिन पहले ही निगम खानापूर्ति जरूर करता है.
बरसात का मौसम अभी ठीक से आया भी नहीं है और बजबजाती नालियां और कचरों से पटी इन तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मानसून की तैयारी किस स्तर की है. हालांकि निगम का दावा है कि मानसून को देखते हुए उनकी तैयारी पूरी है. निगम के मुताबिक सभी नालों को साफ कराया जा चुका है और नालियों का निर्माण भी कराया जा रहा है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वर्तमान स्थिति ने निगम प्रशासन के दावों को झूठा साबित कर दिया.
सफाई में खर्च होते हैं लाखों रुपये
ऐसा नहीं है कि निगम के पास संसाधनों की कमी है, बल्कि यहां साफ-सफाई के लिए पर्याप्त संसाधन सहित कर्मचारी भी हैं. मौजूदा वक्त में नगर निगम में 160 सफाई कर्मी हैं. इसके अलावा 216 सफाईकर्मी महिलाओं के अलग-अलग समूह हैं. कचरा जमा करने और व्यवस्थित करने के लिए 13 कचरा गाड़ी, तीन ट्रैक्टर और एक जेसीबी है. धमतरी निगम में महीने के साफ-सफाई का खर्च औसतन 25 से 30 लाख रुपये तक का होता है. इसके बावजूद शहर में गंदगी पसरी रहती है. बात चाहे वार्डों की हो या मुख्य जगहों की, यहां नालियां हो या सड़के, हर जगह गंदगी का आलम है. बीते कई दशकों से शहर खराब ड्रेनेज सिस्टम से परेशान है.
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