दंतेवाड़ा :जिला के कटेकल्याण ब्लॉक अंतर्गत कोरीरास फड़ में मात्र 3 दिन तेंदूपत्ता की खरीदी की गई. जिसकी वजह से ग्रामीण को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि ग्रामीण महिलाओं ने 2 से 3 दिन जंगलों से तेंदूपत्ता संग्रहित किया. अगले दिन जैसे ही पत्ता बेचने के लिए वह फड़ पहुंची तो उन्हें पता चला खरीदी बंद कर दी गई है. संग्राहकों से कहा गया कि तेंदूपत्ता खरीदी का दिन खत्म हो गया है. ग्रामीण इस जानकारी से परेशान हैं.
गांवों में भाजपा नेता का दौरा : भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री नंदलाल मुड़ामी ने गांवों का दौरा किया. ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई. मुड़ामी ने बताया कि भीषण गर्मी में पूरे परिवार के साथ सभी काम छोड़कर 3 दिन सिर्फ पत्ता जमा किए ताकि उसे बेचकर परिवार का भरण पोषण कर सकें. लेकिन पत्ता खरीदने से मना कर दिया गया. संग्रहित तेंदूपत्ता को अपने घरों के छत पर फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है.
बुजुर्गों ने बताई आपबीती : बुजुर्ग महिला हुंगी ने बताया कि ''इस साल एक भी पत्ता नहीं बेच पाई. हर साल 5000 से 8000 रुपए तक का तेंदूपत्ता बेच लेती थी. बुजुर्ग हूंगी की देखरेख करने वाला कोई नहीं है, इसलिए वह अकेली पत्ता तोड़कर जमा करती रही. जब वह बेचने गई तो तेंदूपत्ता लेने से मना कर दिया गया. पोज्जे ने बताया कि परिवार ने भूखे प्यासे रहकर तेंदूपत्ता तोड़ा लेकिन जब बेचने के लिए गए तो लेने से इनकार कर दिया गया. गांव के सरपंच ने बताया कि ''हम लोग कई बार ठेकेदार और प्रबंधक को पूरा तेंदूपत्ता खरीदने के लिए बोलते रहे लेकिन उन्होंने तेंदूपत्ता खरीदने से मना कर दिया है. अब सभी गांव वाले परेशान हैं.''
Dantewada : दंतेवाड़ा में तेंदूपत्ता खरीदी बंद, मुसीबत में गरीब आदिवासी
दंतेवाड़ा के कटेकल्याण ब्लॉक में तेंदूपत्ता खरीदी नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं. भाजपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही है. भाजपा संगठन जिले के चारों ब्लॉकों में तेंदूपत्ता जन चौपाल कार्यक्रम भी कर रहा है.
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कांग्रेस सरकार पर हमला : बीजेपी नेता मुड़ामी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बड़ी-बड़ी वादे तो जरूर करती है लेकिन कभी भी आदिवासियों के हित के लिए काम नहीं करती. तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं को जिस तरह से अपने घर के छत में पत्ता फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, उसकी जिम्मेदार भूपेश सरकार है. इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.'' आपको बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदूपत्ता ही आदिवासियों की आय का एकमात्र साधन है. ऐसे में यदि उनसे तेंदूपत्ता नहीं खरीदा गया तो इन गरीब बेसहारा ग्रामीणों को साल भर आय के लिए दूसरे संसाधनों को जुटाना होगा.