दंतेवाड़ा :वैसे तो बस्तर अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन बस्तर संभाग को और भी खूबसूरत बनाती हैं यहां की प्राचीन धरोहरें, जिनकी वजह से बस्तर संभाग और भी ज्यादा समृद्ध हो जाता है. इन्हीं धरोहरों में से एक हैं दंतेवाड़ा के ढोलकल गणेश, जो हजारों फीट की ऊंचाई पर विराजे हैं, जिनके दर्शन हम आपको गणेशोत्सव के मौके पर करवा रहे हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर स्थित ढाई हजार फीट की ऊंचाई पर विराजमान है ढोलकल गणेश. यहां तक पहुंचना आसान नहीं है. पहाड़ के उबड़-खाबड़ रास्ते, कटीले पेड़-पौधों को पार करने के बाद 11वीं शताब्दी की इस मूर्ति के दर्शन होते हैं, लेकिन तमाम परेशानियों को झेलते हुए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
गणपति को शक्ति के रूप में पूजते हैं आदिवासी
सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख सदस्य बल्लू भोगामी बताते हैं कि, 'आदिवासियों द्वारा पूरे ढोलकल पहाड़ ही आदि शक्ति के रूप में पूजा जाता है. गणेश जी की ये प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है, लेकिन पूर्वज कहते हैं कि सदियों से आदिवासी गणेश देवता की पूजा शक्ति के रूप में करते आ रहे हैं'.