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ग्रामीणों का मनोबल नहीं तोड़ पाई उफनती नदी और नक्सली, मतदान करने पहुंचे मतदाता

दंतेवाड़ा उपचुनाव की वो तस्वीर है जो और के लिए भी सबक बनेगी. इस चुनाव में ग्रामीण नदी पार कर वोट डालने पहुंचे.

मतदान करने पहुंचे मतदाता

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Published : Sep 23, 2019, 8:17 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 8:42 PM IST

दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा उपचुनाव के दौरान नक्सल क्षेत्र की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर शहरी क्षेत्र के पढ़े-लिखे लोगों को सबक लेना चाहिए. हम जिस तस्वीर की बात कर रहे है, वो तस्वीर दंतेवाड़ा के आदिवासियों की है, जिन्हें न नक्सल का भय है न उफनती नदी में बहने का. इनमें यदि हौसला और जोश है तो सिर्फ लोकतंत्र के इस पर्व को सफल बनाने का, ताकि इनके एक वोट से गांव का विकास हो सके.

मतदान करने पहुंचे मतदाता

दंतेवाड़ा में उपचुनाव के दौरान ETV भारत की टीम गीदम ब्लॉक के छिंदनार पहुंची, जो कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. यह गांव विकास की मार झेल रहा है. वहीं भारी बारिश के कारण यहां की इंद्रावती नदी भी उफान पर है. इन सबके बावजूद यहां के वोटर नदी पारकर या फिर पैदल चलकर वोट डालने छिंदनार पहुंचे. क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके एक-एक वोट की कीमत क्या है. साथ ही उन्हें यह भी उम्मीद है कि उनके वोट से गांव का विकास होगा. इंद्रावती नदी पर पुल भी बनेगा.

नदी पार कर वोट डालने जाते ग्रामीण
बता दें कि 15 सौ जनसंख्या वाले इस गांव से होकर इंद्रावती बहती है, लेकिन पुल न होने की वजह से यहां के ग्रामीण नदी पार कर शहर जाते हैं. साथ ही जब-जब चुनाव आता है, ग्रामीण ऐसे ही नदी पार कर वोट डालने जाते हैं ताकि गांव का विकास हो सके. हालांकि प्रशासन ने इनके लिए पूरी तैयारी कर रखी थी. मौके पर एसडीआरएफ और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी.

पढ़ें : दंतेवाड़ा उपचुनाव: बुलेट पर भारी पड़ा बैलेट, शांतिपूर्ण रहा मतदान

बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदान करने छिंदनार पहुंचे
दंतेवाड़ा एसपी का कहना है कि इन गांव से ज्यादा से ज्यादा संख्या में ग्रामीण मतदान करने पहुंचे, इसके लिए उन्हें पहले ही जागरूक करने के साथ 10 से अधिक मोटरबोट के अलावा नाव और छोटे डोंगी की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा गोताखोर की टीम भी मुस्तैद थी. सुबह 7 से 3 बजे तक बड़ी संख्या में इस गांव के ग्रामीण मतदान करने छिंदनार पहुंचे. एसपी ने बताया कि दोपहर 12 बजे तक क्षेत्र में 40% मतदान हो चुका था. वहीं एसपी ने दावा किया कि पिछले साल 2018 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान का प्रतिशत ओवरऑल 65 से 70% हो सकता है.

इन तस्वीरों से औरों को सबक लेना चाहिए, जो तमाम सुविधा होने के बावजूद लोकतंत्र के इस पर्व का महत्व नहीं समझते और वोट डालने नहीं जाते हैं. ये आदिवासी भले ही कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन इन्हें अपने वोट की कीमत पता है.

Last Updated : Sep 23, 2019, 8:42 PM IST

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