दंतेवाड़ा: नक्सली गतिविधियों में संलिप्त बंदियों को ई-मितान के तहत जेल में आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रबंधन बंदियों को जेल से कुशल किसान बनाकर बाहर भेजना चाह रहा है. जिससे वे रोजगार के अभाव में फिर से कोई गलत रास्ता न अपनाये.
ताकि 'लाल आतंक' से हो सकें दूर, जेल में सीख रहे जिंदगी जीने के गुर
दंतेवाड़ा की जेल में बंद कैदियों पर जेल प्रबंधन दिनों एक अनूठा प्रयोग कर रहा है. जेल में बंद कैदियों को प्रबंधन आधुनिक खेती का गुर सिखा रहा है. जेल प्रबंधन इन बंदियों को डिजिटल साक्षर और किसान बनाकर इन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाह रहा है.
प्रबंधन ने बताया कि जेल में बंद कैदियों में 60 प्रतिशत कैदियों पर नक्सलवाद में शामिल होने का आरोप हैं. जेल प्रबंधन का मानना है कि प्रशिक्षण के बाद जेल से बाहर निकलने पर कैदी खेती-किसानी में जुट जाएंगे और लाल आतंक से तौबा कर लेंगे.
जेल पर लगे दाग को मिटाने में लगा प्रबंधन
2007 में बंदियों ने जेल ब्रेक किया था और 2018 में जेल ब्रेक की कोशिश की गई थी. जेल प्रबंधन अब कैदियों के माध्यम से जेल पर लगे इस दाग को मिटाना चाह रहा है. जेल प्रबंधन की ओर से बंदियों को डिजिटल साक्षर बनाने के साथ बेहतर खेती के गुर सिखाने की कोशिश की जा रही है. जेल में E-MITAN कार्यक्रम के तहत कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें जैविक खाद बनाने के साथ धान की बेहतर खेती और फसलों से किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लेने की जानकारी दी गई है.