दंतेवाड़ा : ये दो तस्वीरें हैं, पहली 12 अप्रैल की और दूसरी 5 महीने 10 दिन बाद यानी कि 23 सितंबर की. पहली तस्वीर में वो पत्नी खड़ी है, जिसने कुछ महीने पहले ही नक्सली हमले में पति को खोया है और दूसरी तस्वीर में वो पत्नी खड़ी है जो अपने दिल पर पत्थर रखकर उसी सीट से चुनाव लड़ रही है, जहां से कभी उसके पति विधायक थे.
ये तस्वीरें बेमिसाल उदाहरण हैं लोकतंत्र की. ओजस्वी मंडावी मिसाल इस लिहाज से हैं क्योंकि नक्सलियों ने इनका सब छीना, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र का साथ दिया और तनकर खड़ी हो गई हैं लाल आतंक के सामने. 9 अप्रैल को नक्सलियों के हमले में भाजपा विधायक और ओजस्वी के पति भीमा मंडावी की मौत हो गई थी. ओजस्वी सूनी मांग और आंखों में आंसू लिए पूरे परिवार के साथ मतदान करने पहुंची थीं. जिसने ये देखा सराहता रह गया.