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सलाम, लोकतंत्र को जिंदा और उसमें विश्वास बनाए रखने का हौसला देती हैं ये दो तस्वीरें

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Published : Sep 23, 2019, 9:39 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 11:19 PM IST

कुछ महीने पहले अपने पति को खोने के बाद लोकसभा चुनाव में मतदान करने वाली ओजस्वी सोमवार को फिर उसी आत्मविश्वास के साथ मतदान केंद्र पहुंची और अपने मत का प्रयोग किया.

लोकतंत्र को जिंदा और उसमें विश्वास बनाए रखने का हौसला देती हैं ये दो तस्वीरें

दंतेवाड़ा : ये दो तस्वीरें हैं, पहली 12 अप्रैल की और दूसरी 5 महीने 10 दिन बाद यानी कि 23 सितंबर की. पहली तस्वीर में वो पत्नी खड़ी है, जिसने कुछ महीने पहले ही नक्सली हमले में पति को खोया है और दूसरी तस्वीर में वो पत्नी खड़ी है जो अपने दिल पर पत्थर रखकर उसी सीट से चुनाव लड़ रही है, जहां से कभी उसके पति विधायक थे.

पैकेज.

ये तस्वीरें बेमिसाल उदाहरण हैं लोकतंत्र की. ओजस्वी मंडावी मिसाल इस लिहाज से हैं क्योंकि नक्सलियों ने इनका सब छीना, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र का साथ दिया और तनकर खड़ी हो गई हैं लाल आतंक के सामने. 9 अप्रैल को नक्सलियों के हमले में भाजपा विधायक और ओजस्वी के पति भीमा मंडावी की मौत हो गई थी. ओजस्वी सूनी मांग और आंखों में आंसू लिए पूरे परिवार के साथ मतदान करने पहुंची थीं. जिसने ये देखा सराहता रह गया.

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उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भीमा मंडावी की मौत के बाद खाली हुई दंतेवाड़ा सीट से ओजस्वी को प्रत्याशी बनाया. आज जब ओजस्वी मतदान करने पहुंची तो बरबस ही 12 अप्रैल की ये तस्वीर याद आ गई. ओजस्वी ने चुनाव प्रचार भी वहीं से शुरू किया था, जहां भीमा मंडावी की जान गई थी.

हमें ये तस्वीरें सहेज कर रख लेनी चाहिए. ये तस्वीरें हमारा लोकतंत्र के प्रति विश्वास मजबूत करती हैं. ये तस्वीरें नाइंसाफी के खिलाफ लड़ना सिखाती हैं. ये तस्वीरें हिम्मत जगाती हैं और कहती हैं जीना इसी का नाम है.

Last Updated : Sep 23, 2019, 11:19 PM IST

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