दंतेवाड़ा: शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धुव की टीम ने नवजात शिशु की जान बचाई है. ऑपरेशन थिएटर में किलकारी गुंजी है. कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं. इस बात को दंतेवाड़ा के डॉक्टरों ने साबित कर दिखाया है. जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला ने ऐसे बच्चे को जन्म दिया जिसकी न तो सांसें चल रही थी और न ही धड़कन. शरीर में मूवमेंट भी नहीं हो रहा था. इस बच्चे को शिशुरोग विशेषज्ञों ने ट्रीटमेंट दिया तो आधे घंटे के बाद बच्चे की किलकारी गूंजने लगी. 11 दिन इसका इलाज किया. अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने बचाई नवजात शिशु की जान
दंतेवाड़ा में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने नवजात शिशु की जान बचाई. गर्भवती महिला ने ऐसे बच्चे को जन्म दिया जिसकी न तो सांसें चल रही थी और न ही धड़कन. शरीर में मूवमेंट भी नहीं हो रहा था. इस बच्चे को शिशुरोग विशेषज्ञों ने ट्रीटमेंट दिया तो आधे घंटे के बाद बच्चे की किलकारी गूंजने लगी.
यह भी पढ़ें:छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स, स्वाइन फ्लू, कोरोना को लेकर अलर्ट जारी
दरअसल, जिले की रहने वाली महिला लक्ष्मी कश्यप ने 19 जुलाई को बेटे को जन्म दिया. महिला की नॉर्मल डिलीवरी हुई थी. जन्म के बाद बच्चे की सांस और धड़कन नहीं चल रही थी. जिसके बाद एसएनसीयू के स्टाफ नर्स ने बच्चे को तुरंत एसएनसीयू में शिफ्ट किया.
पूरे समय डॉक्टरों की निगरानी में था बच्चा:डॉक्टर राजेश ध्रुव ने बताया कि "नवजात कमजोर था. उसे 11 दिनों तक एसएनसीयू में रखा गया था. 11 दिनों तक डॉक्टर और नर्स बच्चे को पूरी केयर किए. धीरे-धीरे नवजात की अवस्था सामान्य हो चुकी थी. बच्चा स्तनपान कर रहा था. सामान्य बच्चों की तरह उसकी हरकत होने लगी थी. दिल की धड़कन और सांस की गति सामान्य हुई तो डिस्चार्ज कर दिया गया. 15 सालों के कॅरियर में ऐसा पहला केस देखा है, जहां ऐसे बच्चे को वापस ठीक किया गया. उन्होंने अपनी पूरी टीम को बधाई दी है."