दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन से सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिल रही है. पुलिस और सुरक्षाबलों ने ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत 5 इलाकों में कैंप आयोजित किए जाने हैं.
नक्सलियों पर नकेल कसने अफसरों ने बनाई रणनीति दंतेवाड़ा जिले में 2 दर्जन से अधिक कैंप सड़कों पर लगाए गए हैं. फोर्स के दवाब की वजह से जिले में सड़क काटने, ट्रेन डिरेल करने और आगजनी की वारदातों में कमी आई है. अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए अफसरों ने रणनीति बना ली है. इलाके में 5 कैंप लगाए जाने हैं. अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से इन जगहों के नाम नहीं बताए हैं.
इसमें कटेकल्याण का टेलम टेटम, दंतेवाड़ा का कामलूर पांडेवार, कुआकोंडा का बुरगुम-निलावाया क्षेत्र हो सकता है.
कटेकल्याण और मलांगिर टूटा तो टूट जाएगी बस्तर नक्सल की रीढ़
जिस तरह से ऑपरेशन प्लान हो रहे हैं और पुलिस अधिकारी रणनीति के साथ वार कर रहे हैं उससे नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले डेढ़ साल में 8 हार्डकोर नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के मुठभेड़ में मारे गए हैं, 80 गिरफ्तार हो हुके हैं और 70 ने समर्पण किया है. मलंगिर पर भी नकेल कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है.
निलावाया-बुरगुम मुख्य रडार पर
निलावाया-बुरगुम पर भी पुलिस अधिकारियों की नजर है. नीलावाया में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने डीडी न्यूज के फोटो ग्राफर पत्रकार के साथ एसआई को भी मार दिया था. यहां चुनाव करना भी महज औपचारिकता है. अधिकारियों का कहना है कि यहां बंद पड़े स्कूल खुलवाए जाएंगे और काटी गई सड़कों को तैयार फोर्स की तैनाती के दौरान तैयार होगी.
बढ़ते दबाव ने बड़े लीडरों को ओडिशा कूच करने पर किया मजबूर
अधिकारी का दावा है कि मुख्य सड़कों पर नक्सलियों का आतंक कम हो गया है. फोर्स का दबाव खुद नक्सली मान रहे हैं. कटेकल्याण से कई नक्सली ओडिशा में शरण ले चुके हैं.
एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा तो कतई महफूज नहीं है. अंदरूनी इलाकों से भी ग्रामीण निकल कर बाहर आ रहे हैं. ग्रामीण इलाके की सीमाओं पर भी कैम्प की स्थापना की जानी है. 5 कैम्प स्थापित होने हैं. चिकपाल में कैम्प स्थापित हो चुका है. बारसूर इलाके से लेकर कुआकोंडा में कैंप स्थापित किए जाने है. जैसे ही इन कैंप को स्थापित किया जाएगा, इसके बाद ग्रामीण इलाके में भी जगह छिपने के लिए नक्सलियों को जगह नहीं मिलेगी.