दंतेवाड़ा: पूरे बस्तर की आराध्य देवी मानी जाने वाली मां दंतेश्वरी के मंदिर में कोरोना के कारण इस साल श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं मिल पाया. नवरात्रि के मौके पर ग्रामीण इलाकों से आए कई भक्त मंदिर के मुख्य द्वार पर ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं. ETV भारत नवरात्र के खास मौके पर मां की आरती और सुबह के श्रृंगार की तस्वीर अपने दर्शकों के लिए लाया है.
कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं लोग
हर साल की तरह इस साल भी अंदरूनी इलाकों से ग्रामीण लंबी दूरी तय कर मां के दर्शन के लिए दंतेवाड़ा पहुंचे, लेकिन कोविड-19 के कारण उन्हें मंदिर के अंदर जाने नहीं दिया गया. मंदिर के मुख्य द्वार पर एक बड़ी प्रोजेक्टर स्क्रीन लगाई गई है, जिस पर लोग मां के दर्शन कर सकते हैं. दूरदराज से आए ग्रामीण भी इसी स्क्रीन के माध्यम से दर्शन के बाद वहीं पर नारियल-फूल और प्रसाद चढ़ा रहे हैं.
मंदिर का इतिहास
दंतेश्वरी मंदिर जगदलपुर से करीब 84 किमी की दूरी पर स्थित है. दंतेवाड़ा शंकिणी और डंकिनी नदी के संगम पर स्थित है. यहां मां दंतेश्वरी का 600 साल पुराना मंदिर है. दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में दक्षिण भारतीय शैली में किया गया था. यहां देवी की षष्टभुजी काले रंग की मूर्ति स्थापित है. छह भुजाओं में देवी ने दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी और राक्षस के बाल धारण किए हुए हैं. मंदिर में देवी के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक गरुड़ स्तंभ है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस स्थान पर मां सती के दांत गिरे थे, इसलिए यहां मां के स्वरूप को दंतेश्वरी के रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर की गिनती 52 शक्तिपीठों में भी की जाती है, हालांकि इस बारे में विद्वानों का अलग-अलग मत भी सामने आते रहते हैं.
कैसे पहुंचें दंतेश्वरी मंदिर