दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों का बन रहा आधार, राशन और वोटर कार्ड, आने वाले समय में डाल सकेंगे वोट - Part two of Lone Varratu campaign
दंतेवाड़ा में प्रशासन नई पहल कर रह रहा है. यहां लोन वर्राटू अभियान (Lone Verratu Campaign ) के तहत आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ चुके पूर्व नक्सलियों के पहचान पत्र बनवाए जा रहे हैं.(Surrendered Naxalites ) ताकि मुख्यधारा से जुड़े पूर्व नक्सलियों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिले. (Identity Cards of Surrendered Naxalites ) उन्हें उनकी सही पहचान मिल सके. (naxal affected area )पहचान पत्र बनने के बाद उन्हें अन्य सुविधाओं और योजनाओं से भी जोड़ा जाएगा.
प्रशासन बनवा रहा है आत्मसमर्पित नक्सलियों के परिचय पत्र
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Published : Jun 23, 2021, 11:10 PM IST
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Updated : Jun 24, 2021, 1:11 PM IST
दंतेवाड़ा: लोन वर्राटू अभियान (Lone Verratu Campaign ) के तहत आत्मसमर्पण (Surrendered Naxalites ) कर मुख्यधारा से जुड़ चुके पूर्व नक्सलियों को लेकर प्रशासन ने पहल शुरू की है. उन्हें शासकीय योजनाओं के लाभ से जोड़ा जा रहा है. पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि सभी सरेंडर नक्सलियों के पहचान पत्र बनावाए जा रहे हैं. (Identity Cards of Surrendered Naxalites ) उनके आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जैसी सरकारी दस्तावेज भी बनवाए जा रहे हैं. (naxal affected area ) इसके लिए परिवहन की सुविधा भी प्रशासन उपलब्ध करवा रही है. अब तक करीब 255 सरेंडर नक्सलियों के दस्तावेज बनाए गए हैं.
दंतेवाड़ा प्रशासन की नेक पहल
आधार कार्ड से मिलेगी बेहतर सुविधा
प्रशासन नक्सल विचारधारा (Naxalite ideology) को छोड़ मुख्यधारा से जुड़ने वाले इन आदिवासियों का बैंक में खाता खुलवाकर प्रोत्साहन राशि भी भेजी जा रही है. आधार कार्ड बन जाने से समर्पित नक्सलियों को शासकीय योजनाओं का लाभ देने की भी योजना है. उन्हें अब खेती-बाड़ी और अन्य कार्यों के लिए लोन भी मिल सकेगा. इसके लिए प्रशासन पहल भी कर रहा है.
दंतेवाड़ा में शुरू किया गया लोन वर्राटु अभियान भी सफल रहा है. छत्तीसगढ़ में यह पहला जिला है जहां आत्मासमर्पित नक्सलियों को पहचान दिलाने के लिए प्रशासन खुद दस्तावेज के आधार पर उनके आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे पहचान पत्र बनवा रही है. ताकि मुख्यधारा से जुड़ने वाले इन वनांचल के निवासियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
प्रशासन ने उठाया जिम्मा
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि पिछले 3 सालों में लगभग 450 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इनमें ज्यादातर लोगों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड नहीं था. जिसके कारण इन लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था. जिसे देखते हुए प्रशासन ने इनके पहचान पत्र बनवाने का जिम्मा उठाया है. इसके साथ उनके लिए रहने की भी व्यवस्था की जा रही है. जिन्हें खतरा महसूस हो रहा है उनके लिए प्रशासन लोन वर्राटू हब बन रहा है. उन्हें आवास और पट्टा दिया जाएगा.
लोन वर्राटू अभियान के एक साल पूरे होने पर पुलिस प्रशासन ने 1 जून 2021 से लोन वर्राटू अभियान का पार्ट टू (Part two of Lone Varratu campaign) शुरू किया है. इसके तहत सभी सरेंडर कर चुके नक्सलियों से गांव में संपर्क किया जा रहा है. प्रशासन उनके हालातों की जानकारी जुटा रहा है.
सरेंडर कर चुके नक्सलियों आर्थिक स्थिति कैसी है?
आत्मसमर्पित नक्सलियों की आर्थिक स्थिति को कैसे बेहतर बनाया जाए?
क्या आत्मसमर्पित नक्सलियों के पास राशन कार्ड है?
क्या आत्मसमर्पित नक्सली के पास आधार कार्ड है?
क्या आत्मसमर्पित नक्सलियों को मदद की जरूरत है?
जल्द कर सकेंगे मतदान
एसपी अभिषेक पल्लव (Dantewada SP Abhishek Pallav) ने बताया कि इस मुहिम में पिछले 20 दिनों में 110 लोगों के आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड के साथ ही 50 लोगों के राशन कार्ड बनाए गए हैं. बीपीएल कार्ड बनवाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन की कोशिश है कि अगले 2 महीनों में सभी 450 लोगों के सरकारी दस्तावेज बन सकें. जिससे वह भारतीय होने का गर्व महसूस कर सकें. शासकीय योजनाओं का फायदा भी उठा सकें. 15 अगस्त के दिन सभी आत्मासमर्पित नक्सलियों को उनके पहचान पत्र के साथ उनका नाम वोटर लिस्ट से जोड़ा जाएगा. आने वाले समय में वह वोट भी डाल सकेंगे.
दंतेवाड़ा पुलिस ने जून 2020 को लोन वर्राटू अभियान (घर वापस आइए अभियान) की शुरुआत की थी. पुलिस ने ग्राम पंचायतवार नक्सलियों की सूची जारी कर गांवों में चस्पा कराया था. इस अभियान के शुरू होने के बाद तब तक 99 इनामी सहित 375 नक्सलियों ने हथियार डाल सरेंडर किया है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में कई कमांडर स्तर के भी नक्सली शामिल हैं. वहीं इस अभियान की तारीफ सीएम भूपेश बघेल भी कर चुके हैं.
डीआरजी की टीम में शामिल हुए नक्सली
लोन वर्राटू अभियान के तहत50 से ज्यादा आत्मसमर्पित नक्सली डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) में शामिल हुए. अन्य लोग भी घर पर रहकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं. लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर नक्सलियों के लिए पुलिस ने DRG (District Reserve Guard) टीम में शामिल होने के अलावा घर पर रहकर खुशहाल जीवन जीने का विकल्प रखा था. DRG में महिला कमांडो की टीम भी बनाई गई है. जो वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों का सामना कर रही है.
आत्मसमर्पित नक्सलियों ने कहा कि सरकारी दस्तावेज बनने के बाद उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. बैंक में खाता खुलवा सकेंगे.