छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

अनोखा बस्तर: ताड़ के पत्ते से किया गया होलिका दहन, आज राख से खेली जाएगी होली - आंवला मार रस्म

दंतेवाड़ा में भी धूमधाम से होलिका दहन किया गया. पुरानी परंपरा के मुताबिक यहां ताड़ के पत्तों से होलिका दहन किया गया. जिसके बाद सोमवार को उसकी राख से होली खेली जाएगी.

Holika Dahan done with palm leaves in Dantewada
ताड़ के पत्ते से किया गया होलिका दहन

By

Published : Mar 29, 2021, 3:52 AM IST

दंतेवाड़ा: रविवार को दंतेवाड़ा में भी धूमधाम से होलिका दहन किया गया. माई दंतेश्वरी की नवमी पालकी धूमधाम से नारायण मंदिर तक ले जाई गई. जिसके बाद 12 अलंकार चालकियों ने आंवला मार की रस्म निभाई. इस रस्म के बाद फिर से माई दंतेश्वरी की पालकी को दंतेश्वरी मंदिर लाया गया. मान्यता है कि जिस किसी को भी आंवले की मार पड़ती है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

ताड़ के पत्ते से किया गया होलिका दहन

शाम को होलिका दहन का कार्यक्रम पूरी रस्म के साथ किया गया. जिसमें मां दंतेश्वरी की दूसरी पार्टी के बाद ताड़ के पत्ते 12 अलंकार लेकर आए. उन्हें दंतेश्वरी सरोवर में धोने के बाद मंदिर प्रांगण में रखा गया था. उन्हीं पत्तों से रविवार को होलिका दहन का कार्यक्रम पूरे विधि विधान के साथ किया गया. रस्म में सबसे पहले मां दंतेश्वरी की पालकी दंतेश्वरी मंदिर से होते हुए शनि मंदिर तक लाई गई. वहां ताड़ के पत्ते से बने होली का को पूजा अर्चना कर सात परिक्रमा लगाते हुए होलिका दहन किया गया.

ताड़ के पत्ते से किया गया होलिका दहन

कोरोना प्रोटोकाल के बीच हुआ होलिका दहन कार्यक्रम

होलिका की राख से खेली जाती है होली

आदि काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक होलिका दहन के बाद जलने वाले ताड़ के पत्ते जो हवा में उड़ते हैं, उसकी राख को अपने आंचल में लिया जाता है. पुरानी मान्यता के अनुसार उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है. सुबह होने के बाद होलिका दहन की राख से होली खेली जाती है. जो सुबह मां दंतेश्वरी के दरबार में सर्वप्रथम उस रात को लाया जाता है. फिर पलाश के फूलों से बने रस में घोलकर रंगभंग कार्यक्रम किया जाता है. जिसमें सभी एक दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हुए होली मनाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details