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फर्जी जाति प्रमाण पत्र: वन विभाग के दो अधिकारी पद से हटाए गए

फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में वन विभाग ने गीदम वन परिक्षेत्र अधिकारी सुकदास नाग और वन परिक्षेत्र अधिकारी मोहनदास मानिकपुरी को उनके पद से हटा दिया है.

Forest officer suspended in fake caste certificate casein dantewada
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Published : Dec 19, 2020, 2:25 PM IST

दंतेवाड़ा : सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में कार्रवाई की है. वन विभाग ने गीदम वन परिक्षेत्र अधिकारी सुकदास नाग और वन परिक्षेत्र अधिकारी मोहनदास मानिकपुरी को उनके पद से हटा दिया है.

आदेश की कॉपी

प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने वन परिक्षेत्र अधिकारी गीदम सुकदास नाग को उनके पद से हटा दिया है. उन्हें दंतेवाड़ा वनमंडल में पदस्थ किया है. दोनों पदों पर अब नियुक्ति के लिए कयास और प्रयास जोरों पर हैं. विभाग पर लगातार फर्जीवाड़े के आरोप लगते रहे हैं.

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267 जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए

छानबीन समिति की जांच में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी 267 जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए. इसके तहत सरकारी सेवकों को सेवा मुक्त कर कार्रवाई की गई. साथ ही न्यायालय द्वारा जिन लोगों ने स्टे (स्थगन) प्राप्त किया है, उन्हें किसी भी महत्वपूर्ण दायित्व में रखने से मना किया गया है. गीदम में पदस्थ परिक्षेत्र अधिकारी सुकदास नाग भी इस सूची में शामिल हैं.

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लगातार मिलती रही हैं शिकायतें

छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही लगातार फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाने की शिकायतें आती रही हैं. सर्व आदिवासी समाज ने सरकार से लगातार मांग की है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए लोग सरकारी नौकरियों में जमे हुए हैं और इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसे लेकर सर्व आदिवासी समाज ने सरकार को बकायदा ऐसे अधिकारियों की कुंडली भी सौंपी थी.

बड़े पदों पर जमे हुए हैं लोग

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति रायपुर को वर्ष 2000 यानी छत्तीसगढ़ के निर्माण से लेकर 2020 तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के कुल 926 प्रकरण प्राप्त हुए थे, जिनमें से 659 प्रकरणों का निराकरण किया गया है. वहीं शेष 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं, जिनको संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भेजा गया है. सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकांश प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और स्थगन आदेश प्राप्त है. जो गलत पाए गए हैं इन प्रकरणों में उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्ति के बाद कई अधिकारी- कर्मचारी अभी भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं.

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