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दंतेवाड़ा: कम समय में अधिक मुनाफा के लिए तैयार की जा रही 'इंदिरा एरोबिक धान' - छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा (Dantewada ) कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) में किसानों (Former) को कम समय में अधिक मुनाफा दिलाने को कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) के डॉ. नारायण साहू (Dr. Narayan Sahu)और भूपेंद्र कोठारी (Bhupendra Kothari) के मार्गदर्शन में किसानों (Farmers) को 10 एकड़ क्षेत्रफल में धान की किस्म इंदिरा एरोबिक बीज (Indira Aerobic Seed) उत्पादन किया जा रहा है.

Farmers in 10 acres of area
किसानों को 10 एकड़ क्षेत्रफल में

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Published : Oct 4, 2021, 2:31 PM IST

दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada) कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) द्वारा जिले के किसानों (Former) को कम समय में अधिक मुनाफा दिलाने का प्रयास कृषि विज्ञान केन्द्र कर रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) के डॉ. नारायण साहू (Dr. Narayan Sahu)और भूपेंद्र कोठारी (Bhupendra Kothari) के मार्गदर्शन में किसानों को 10 एकड़ क्षेत्रफल में धान की किस्म 'इंदिरा एरोबिक' बीज ( Indira Aerobic Seeds) उत्पादन किया जा रहा है.

दंतेवाड़ा कृषि विज्ञान केंद्र

बीज उत्पादन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) द्वारा नर्सरी तैयार कर 10 एकड़ की जमीन में बीज उत्पादन के लिए फसल लगाई गई है, जिसकी रोपाई के लिए किसानों को कितनी मात्रा में और कितनी दूरी पर रोपाई करना है ये इस विधि के माध्यम से बताया जाएगा. ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो.

ये है विधि

इसके साथ ही इंदिरा एरोबिक बीज उत्पादन की विधि के बारे में बात करते हुए कृषि विज्ञान ने बताया कि कतार से कतार 20 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर की होनी चाहिए. क्योंकि ये फसल 105 दिनों में तैयार हो जाती है. जिसके लिए इसे अधिक से कम पानी की आवश्यकता होती है. रोपाई के 80 दिनों बाद फसल में बालिया आना शुरू हो जाता है. इस फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों में रोपाई उपरांत अंबिका पैडी विडर से यांत्रिक विधि से किया जाता है.

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धान के खेती की तैयारी

इसके साथ ही इंदिरा एरोबिक किस्म की धान दंतेवाड़ा जिला में पहली बार कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को तैयार कर दिया जा रहा है. ताकि किसान कम समय में धान की पैदावार कर सके और उन्हें अधिक लाभ हो. बताया जा रहा है कि ये धान मध्यम भूमि के लिए बहुत ही उपयुक्त है. इसकी विशेषता यह है कि मध्यम अवधि 105 से 120 दिनों में इसकी फसल पक जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. वहीं, इस किस्म को कम पानी की आवश्यकता पड़ती है.

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