दंतेवाड़ा :ढोलकल गणपति प्रतिमा (Dholkal Ganesh idol) पर एक बार फिर असामाजिक तत्वों ने अपने निशान छोड़े हैं. इस बार प्रतिमा की सूंड पर कुछ मनचलों ने अपने नाम के अक्षर गोदे हैं. जिसकी शिकायत मिलते ही जिला कलेक्टर विनीत नंदनवार ने प्रशासनिक अधिकारियों की टीम गठित कर बातचीत की है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस धरोहर को बचाए रखने के लिए पुरातत्व विभाग से बातचीत की गई है. कलेक्टर विनीत नंदनवार ने बताया कि '' धरातल से 3000 फीट ऊपर विराजमान गणपति की प्रतिमा को संरक्षित रखने का कार्य जल्द से जल्द किया जाएगा. जिससे हम अपनी धरोहर को संरक्षित कर सकते हैं. जल्द ही इस पर कार्य प्रारंभ किया जाएगा. जिससे लोग आसानी से गणपति जी के दर्शन कर सकें और पर्यटन को भी बढ़ावा मिले. शरारती तत्वों की इस करतूत को लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. इस ऐतिहासिक धरोहर से छेड़छाड़ करने वाले बदमाशों की पहचान अबतक नहीं हो पाई (Dholkal Ganesh idol tampered in Dantewada) है.''
पहले भी प्रतिमा के साथ हुई थी छेड़छाड़ :बता दें कि ढोलकल पर्वत शिखर पर 3 हजार फीट की ऊंचाई पर विराजे भगवान की गणेश मूर्ति के साथ पहले भी छेड़छाड़ हुई है. साल 2017 में असामाजिक तत्वों ने गणेश प्रतिमा को पहाड़ी से नीचे फेंक दिया था. काफी खोजबीन के बाद गणेश की यह मूर्ति पहाड़ी से नीचे खंडित अवस्था में मिली थी. जिसके बाद जिला प्रशासन की टीम और पुरातत्व विभाग ने गणेश जी की प्रतिमा के अवशेष को ढूंढ निकाला. मूर्ति कलाकारों ने फिर मूर्ति को ग्रेनाइट पत्थर से जोड़ा .
Chhattisgarh: दंतेवाड़ा के ढोलकल गणेश प्रतिमा से छेड़छाड़
Dantewada latest news दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल शिखर पर विराजित भगवान गणेश की ऐतिहासिक प्रतिमा के साथ एक बार फिर छेड़छाड़ की गई है. असामाजिक तत्वों ने मूर्ति पर अंग्रेजी के दो लेटर लिखे हैं. आपको बता दें कि इस ऐतिहासिक गणपति की प्रतिमा को कुछ साल पहले असमाजिक तत्वों ने तोड़ डाला था.जिसके बाद इसे विशेषज्ञों की टीम ने दोबारा स्थापित किया. लेकिन एक बार फिर गणपति की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ हुई है.
जिला प्रशासन ने की थी तैयारी : इस घटना के बाद इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ सरकार ने पहल की थी . जिला प्रशासन ने ढोलकल पर्वत तक जाने के लिए जगह-जगह विश्रामगृह, सोलर लाइट लगाने जैसे प्रोजेक्ट तैयार किए थे. लेकिन ये प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से असामाजिक तत्व धरोहर को खंडित कर रहे हैं .
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क्यों खास है प्रतिमा :11वीं-12वीं शताब्दी में स्थापित यह प्रतिमा करीब तीन फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है. ये ग्रेनाइट की बनी है. प्रतिमा के ऊपरी दाएं हाथ में फरसा और ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दांत है. इस प्रतिमा को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है. Dantewada latest news