दंतेवाड़ा:नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (dantewada) जिले की पहचान अब बदल रही है. ये जिला अब स्वास्थ्य सुविधाएं में एडवांस टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए पहचाना जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy) ट्रीटमेंट देकर नवजात की जान बचाई. पेट में ही बच्चे के खत्म हो जाने की खबर मिलने के बाद माता-पिता उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन बाद में नवजात को नजरों के सामने जिंदा देखकर उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. उन्होंने पूरी टीम को नम आंखों से धन्यवाद दिया.
दरअसल केशवपुर गांव की रहने वाली ज्योति आयामी को 11 जून को प्रसव पीड़ा हुई. गांव की मितानिन ने उन्हें बताया कि बच्चा पेट में खत्म हो गया है. जिसके बाद राजू ओयामी अपनी पत्नी ज्योति आयामी को लेकर दंतेवाड़ा जिला अस्पताल पहुंचा. जहां महिला का प्रसव कराया गया. प्रसव के बाद बच्चे में किसी तरह का मूवमेंट नहीं था.
ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy) देकर नवजात की बचाई जान
स्टाफ नर्स उर्मिला साहू (nurse Urmila Sahu) ने बताया कि बच्चा जब डिलीवर हुआ तो बच्चे की धड़कन हल्की-हल्की चल रही थी. कोई मूवमेंट नहीं था. जिसके बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश ध्रुव के निर्देशानुसार नर्स उर्मिला साहू (nurse Urmila Sahu) और उनकी टीम ने बच्चे को तत्काल icu में लाकर ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy) ट्रीटमेंट दिया. जिसके बाद बच्चे की पल्स नॉर्मल चलने लगी. नर्स ने बताया कि पूरी टीम ने बच्चे को बचाने में काफी कोशिश की जिसके बाद जन्म के आधे घंटे बाद बच्चे ने मूवमेंट करना शुरू किया. बच्चे के जन्म 11 जून से ही बच्चे का ख्याल रखा गया. लगभग 1 हफ्ते के ऑब्जर्वेश के बाद गुरुवार को स्वस्थ बच्चे को माता-पिता को सौंप दिया गया.
भूपेश सरकार के ढाई साल: दंतेवाड़ा में BJYM ने विधायक देवती कर्मा से मांगा हिसाब