दंतेवाड़ा/रायपुर: बंदूक, गोली और नक्सली घटनाओं के नाम से जाना जाने वाला बस्तर का जिला दंतेवाड़ा अब विकास की नई कहानी गढ़ रहा है. यहां सरकार के सहयोग से स्थापित डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री की पहचान सात समुंदर पार तक पहुंच गई है. यही वजह है कि सीएम भूपेश बघेल विधानसभावार दौरे के दूसरे चरण में जब दंतेवाड़ा पहुंचे तो सीएम बघेल डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री (CM Bhupesh Baghel visited Dannex Garment Factory) का दौरा किए बिना नहीं रहे.
अपने टैक्सटाइल यूनिट की वजह से देश भर (Bhupesh Baghel Dantewada visit) में चर्चित दंतेवाड़ा के नवाचार डेनेक्स की नई यूनिट का शुभारंभ सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कटेकल्याण में किया. यहां 100 महिलाएं गारमेंट्स बनाएंगी. इसी के साथ डेनेक्स के पांचवे यूनिट छिंदनार का एमओयू हुआ. यह एमओयू डेनेक्स एफपीओ और एक्सपोर्ट हाउस (Dannex Garment Factory) तिरपुर के बीच हुआ जो तमिलनाडु के कोयंबटूर में होल सेल की देश की सबसे बड़ी यूनिटों में एक है.
डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री की महिलाओं से मिले सीएम सीएम बघेल ने महिलाओं को दी बधाई: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि दंतेवाड़ा में आप लोगों का नवाचार देश भर में विख्यात है और अब कटेकल्याण यूनिट के माध्यम से भी इसका कार्य आगे बढ़ेगा. इस मौके पर अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर उनसे आटोग्राफ भी महिलाओं ने चाहा, मुख्यमंत्री ने जैसे ही आटोग्राफ दिया, महिलाएं खुश हो गई. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सांसद दीपक बैज को डेनेक्स की बनी शर्ट गिफ्ट की.
सीएम ने महिलाकर्मी को दिया ओटोग्राफ सांसद दीपक बैज को डैनेक्स का शर्ट सीएम ने गिफ्ट दिया ये भी पढ़ें:15 अगस्त को 'डैनेक्स' में बनी वर्दी पहन तिरंगे को सलामी देंगे डीआरजी जवान
डेनेक्स के कपड़ों की लगातार मांग बढ़ी: डेनेक्स के माध्यम से दंतेवाड़ा वस्त्र व्यवसाय के एक नये केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है. यहां के कपड़ों की गुणवत्ता की वजह से देश भर में इसकी मांग बढ़ी है. देश भर की व्यापारिक संस्थाएं इनसे एप्रोच कर रही हैं. अब तक डेनेक्स के चार यूनिट हारम, बारसूर, कारली, कटेकल्याण में शुरू हैं और डेनेक्स के पांचवे यूनिट छिंदनार के लिए एमओयू हुआ है. डेनेक्स की यूनिटों के तेजी से प्रसारित होने की वजह से न केवल महिलाओं को रोजगार मिला है. बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान भी बनी है. इसी गारमेंट फैक्ट्री में महिलाओं ने ग्यारह किलोमीटर लंबी चुनरी ( ग्यारह हजार मीटर चुनरी) का निर्माण किया है. जिसे सीएम बघेल मां दंतेश्वरी को अर्पित करेंगे.
क्या है डेनेक्स ? : डेनेक्स का अर्थ है दंतेवाड़ा नेक्स्ट. 16 महीने पहले दंतेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उदेश्य से नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की. इस फैक्ट्री को डेनेक्स नाम दिया गया. अब डेनेक्स ब्रांड के नाम से यहां कपड़ा तैयार होता है. जिससे महिलाओं को अच्छी आय हो रही है. 'हारम' में स्थापित पहली डेनेक्स फैक्टरी ने सफलता के कीर्तिमान गढ़ना शुरू कर दिया जिसके बाद बारसूर,कारली और कटेकल्याण ग्राम में भी डेनेक्स यूनिट स्थापित हुई.
ये भी पढ़ें:आत्मनिर्भर दंतेवाड़ा कपड़ा, आरओ वाटर के बाद कड़कनाथ के चूजे का शुरू किया उत्पादन
डेनेक्स से 50 करोड़ की हुई आय: बीते 16 महीने में में ही डेनेक्स की चार यूनिट से लगभग 50 करोड़ रूपए मूल्य के 6 लाख 85 हजार कपड़ों का लॉट बंगलोर भेजा जा चुका है. जहां से इनका विक्रय पूरे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो रहा है. दंतेवाड़ा नेक्स्ट यानि की डेनेक्स से दंतेवाड़ा के लगभग 800 लोगों को रोजगार मिला है. कभी गरीबी के साये में दिन बिताने वाली महिलाएं आज प्रतिमाह 7000/- रूपए से ज्यादा की आय अर्जित कर रही है.
सात समुंदर पार पहुंची डैनेक्स की गूंज: अब डैनेक्स ब्रांड की गूंज विदेशों में भी सुनाई देगी. मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान ही डेनेक्स एफपीओ (किसान उत्पादक संघ) ने एक्सपोर्ट हाउस, तिरपुर से डेनेक्स की पांचवी यूनिट 'छिंदनार' से अगले 3 वर्षों के लिए एमओयू साइन किया है. इस एमओयू के बाद डेनेक्स की पांचवी यूनिट छिंदनार से तैयार होने वाले कपड़े यूके और यूएस के बाजार में भी नजर आएंगे.
सीएम ने ढेकी चावल की ली जानकारी: डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री में सीएम भूपेश बघेल ने में पारंपरिक ढेकी चावल बनाने वाली महिलाओं से मुलाकात की है. सीएम भूपेश बघेल ने यहां ढेकी चावल के बारे में जानकारी हासिल की और ढेकी चावल बनाने वाली महिलाओं को शुभकामनाएं दी.
सीएम ने ढेकी चावल की ली जानकारी क्या होता है ढेकी चावल? : छत्तीसगढ़ में ढेकी चावल एक पुरानी चावल है जो ढेकी मिल से तैयार की जाती है. ढेकी मिल लकड़ी का बना होता है. इस मिल का निर्माण कठोर लकड़ी से बना होता है. जिसे एक ओर पैर से दबाया जाता है और दूसरी ओर लोहे की मूसल इसमें लगी होती है. इस मूसल से ओखलीनुमा गड्ढे में भरे गए धान की कुटाई होती है. इस कुटाई से धान से भूसा अलग हो जाता है और चावल तैयार हो जाता है