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करोड़ों की लागत से बने जिला अस्पताल के कृत्रिम अंग शोध केंद्र के हालात बद से बदतर

करोड़ों की लागत से बने जिला अस्पताल (District hospital) में संचालित संभाग का एकलौता कृत्रिम अंग शोध केंद्र (Prosthesis research center) के हालात बद से बदतर हैं. दूर-दराज से कृत्रिम अंग (Prosthesis) लगाने मरीज (Patient)आते हैं. लेकिन उपकरणों के अभाव (Lack of equipment) के कारण कई बार उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है.

District Hospital Artificial Limb Research Center
जिला अस्पताल के कृत्रिम अंग शोध केंद्र

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Published : Oct 22, 2021, 2:50 PM IST

दंतेवाड़ाःदंतेवाड़ा (Dantewada) में करोड़ों की लागत से बने जिला अस्पताल (District hospital) में संचालित संभाग का एकलौता कृत्रिम अंग शोध केंद्र (Prosthesis research center) के हालात बद से बदतर हो गये हैं. दरअसल, उपकरणों के अभाव (Lack of equipment) का भी जुगाड़ लोगों को खुद करना पड़ रहा है. वहीं, जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल (Hospital) पहुंची तो पाया कि यहां के हालात बद से बदतर हैं. वहीं, ईटीवी से मुखातिब डॉ. अनिरुद्ध (Dr. Anirudh) ने अपनी व्यथा सुनाई.

करोड़ों की लागत से बने जिला अस्पताल

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कृत्रिम अंग शोध केंद्र दंतेवाड़ा में संचालित किया जा रहा

कृत्रिम अंग विशेषज्ञ डॉ अनिरुद्ध (Prosthetic Limb Specialist Dr Anirudh) ने बताया कि पूरे संभाग में एक ही कृत्रिम अंग शोध केंद्र दंतेवाड़ा (Artificial Limb Research Center Dantewada) में संचालित किया जा रहा है, लेकिन उपकरणों के अभाव से हम लोगों को इतनी सुविधा नहीं दे पा रहे हैं, जितनी देनी चाहिए. जिसके लिए सीएमओ एवं सिविल सर्जन (CMO & Civil Surgeon) को हमने कई बार पत्र लिखा है. हालांकि अब तक पत्र पर संज्ञान नहीं लिया गया. जिसके कारण 5 वर्षों से इसी हालात में हॉस्पिटल को चलाया जा रहा है. हमारे पास दूर-दराज से भी कृत्रिम अंग लगाने मरीज आते हैं. लेकिन उपकरणों के अभाव के कारण कई बार उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है.

एक ही कर्मचारी के भरोसे चल रहा केंद्र

आगे डॉ अनिरुद्ध ने बताया कि हम एक ही कर्मचारी के भरोसे यह केंद्र चला रहे हैं. कोई है नहीं है जिसके कारण कई तरह की दिक्कतें पेश आती है. वहीं, जिला प्रशासन सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी अगर इस ओर ध्यान दे, तो हम जिले में बेहतर तरीके से कार्य कर पायेंगे.

मरीज ने किया डॉ. का शुक्रियाअदा

इस दौरान कुंडा गांव से आई पेशेंट रमेश कुमार ने बताया कि मेरे हाथ पैर 2010 में एक्सीडेंट में खराब हो गए थे.मैं चल फिर नहीं सकता था, जिसके लिए मैंने रायपुर में ट्रीटमेंट कराया, बावजूद मुझे चलने में परेशानी हो रही थी. मुझे पता चला कि दंतेवाड़ा जिले में भी कृत्रिम अंग बनाकर उपचार किया जाता है, जिसके कारण मैं यहां दंतेवाड़ा पहुंचकर डॉक्टर साहब से सेवा ले रहा हूं और मुझे ताज्जुब होता है कि बड़े-बड़े संस्थान रायपुर-जयपुर में जहां मेरा इलाज नहीं कर पाये पर यहां आकर उपकरणों के अभाव के बाद भी डॉक्टर साहब ने मेरा उपचार एक ही दिन में कर दिया.

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