दंतेवाड़ा :पढ़ना-लिखना अभियान का जिले में (read and write campaign in Dantewada) असर दिखने लगा है. बारसूर क्षेत्र की एक होनहार शिक्षित बिटिया कुमारी मंजू नाग ने अपने आस-पास के अनपढ़ लोगों को अभियान से जोड़कर साक्षर करने का बीड़ा उठाया है. इतना ही नहीं उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त भी किया. 30 से 35 दिनों के अध्यापन में मंजू ने कई चुनौतियों का सामना किया. असाक्षरों को शिक्षित होने का महत्त्व समझाया. उन्हें पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया. इतना ही इन सबके बाद सभी को साक्षरता केंद्र तक लाने और महापरीक्षा में शामिल कराने की परेशानी को भी बिटिया ने चुटकियों में दूर कर दिया.
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मंजू ने अपने अनुभव ईटीवी भारत से शेयर किया. उसने बताया कि पूर्व से निजी स्कूल में एक शिक्षिका का कार्य कर रही है. उसने यह अनुभव किया कि बच्चों को पढ़ाने और असाक्षर बड़े-बुजुर्गों को पढ़ाने में जमीन आसमान का फर्क है. बच्चे सहजता से शिक्षक की बात सुनते हैं और सीखते भी हैं. लेकिन बड़ों को पढ़ाने में पहले खुद बड़ों से सीखना पड़ता है. बड़ों को सिखाते समय अपने व्यवहार को उनकी आवश्यकताओं, रुचि और आत्मसम्मान के अनुरूप ढालना पड़ता है.
मंजू को किया जाएगा सम्मानित
बड़े भले ही असाक्षर हैं, लेकिन उनके पास सारी चीजों का अनुभव बहुत ज्यादा है. रोजमर्रा के जीवन की जरूरतों को वे बखूबी जानते हैं. उससे सरलता से जूझते हैं. केवल उनके पास अक्षरों और अंक का ज्ञान नहीं है. कुमारी मंजू ने इसे भली भांति समझा और अपने अध्यापन कौशल का उपयोग कर विभिन्न माध्यमों से असाक्षरों को साक्षर किया. आज मंजू को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित भी किया जाएगा. मंजू ने बताया कि पढ़ना-लिखना अभियान की स्वयंसेवी शिक्षका होने पर उन्हें बहुत गर्व है.