दंतेवाड़ा:धुर नक्सल प्रभावित बोरजे की पद्मा मडे और बड़े पनेड़ा की बेटी पीयूषा के डॉक्टर बनने का सपना अब अधूरा नहीं रहेगा.छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलगढ़ की बेटियों की जिंदगी रोशन करने का बीड़ा उठाया है. इन छात्राओं के एमबीबीएस की पढ़ाई का पूरा खर्च अब भूपेश सरकार देगी. प्राइवेट कॉलेज की पेमेंट सीट पर दोनों का दाखिला होगा. पूरे 5 साल की इस पढ़ाई के लिए इन दोनों बेटियों के लिए करीब 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च सरकार खुद उठाएगी.
इन दोनों बच्चियों ने अभाव में रहकर, बिना नेटवर्क वाले इलाके में पढ़ाई की और नीट की परीक्षा पास की. इसमें से पद्मा की मां की मृत्यु एग्जाम के 15 दिन पहली ही हुई. उसके पिता पहले ही गुजर गए थे. पीयूषा भी आर्थिक तंगी से गुजर रही है. जिले के 27 बच्चों ने नक्सल प्रभावित इलाके से निकलकर NEET की परीक्षा में सफलता हासिल की है. नेटवर्क की परेशानी की वजह से जो बच्चे नीट क्वॉलीफाई करने के बाद काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाए थे. सरकार ने उनके दाखिले का जिम्मा जिम्मेदारी ली. दोनों लड़कियों ने सीएम भूपेश बघेल व कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद दिया है.
बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकार उठा रही खर्च
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब प्राइवेट कॉलेज में MBBS की पढ़ाई के लिए इन छात्राओं का सरकार खुद खर्च उठा रही है. काउंसलिंग से वंचित रहने की खबर मिलने के बाद सीएम लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. सीएम ने दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से चर्चा की. साथ ही तुरंत निष्कर्ष निकाला कि बच्चों के भविष्य को किसी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाए. सीएम की इस घोषणा के बाद दंतेवाड़ा प्रशासन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.
सरकार बेटियों को पहुंचाएगी हर संभव मदद
सर्व आदिवासी समाज के लोग दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से मिलने मिठाई लेकर पहुंचे. सरकार के इस फैसले के लिए समाज के लोगों ने शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया. कलेक्टर ने कहा कि इन दोनों छात्राओं के अलावा भी कटऑफ के मुताबिक जो बच्चे पात्र होंगे, उनके लिए भी यही नियम लागू होगा. कलेक्टर ने कहा कि शासन-प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है.